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राजपूती रीत प्रशस्ति

राजपूती रीत प्रशस्ति

राजपूती रीत प्रशस्ति
                    छंद : सारसी
         रचना : दिव्यराजसिंह सरवैया

वट वचनने वीरता सभर वातो अमारा देश नी,
शगती उपासे शिव सुवासे वरण गासे वेश नी,
सत देख समरांगणे शूरता तजी मन ना मीत जी,
तन गहन घावे लड़े दिव्य राजपूती रीत जी,

गौरव कुळ गोहिल नु ज्यां मरद पाक्या मोभियो,
सेजक समां शूरवीर ने राणोजी रण में शोभियो,
महावीर महिपत मोखडोये मोत पर लइ जित जी,
विण मथ्थ धड़ लड़ धरण दिव्य राजपूती रीत जी.

वर्षा समें वावणी काजे हणी दख चारण तणी,
जुतियो बळद जोड़े हळे धन्य धन देपाळो धणी,
पच्चीस वरहे देह पाडु टेक मरणी प्रीत जी,
साचवी गोहिल सवो दिव्य राजपूती रीत जी.

वाळा तणा वलभी तळाजा वसुधे विख्यात छे,
नेहड़ी साईं काज सोंपण माथ एभल भ्रात छे,
भाणेजनी भीती भांगे उगो उगीने नीत जी,
खांभी खड़ी खोडाय दिव्य राजपूती रीत जी,

मन कूड़ा हेवा ढांक लेवा सुबा मनसुबा घड़े,
तातार खानो गढ़जुनानो दळ कटक लइने चड़े,
नागल्ल मानो वेण जानो सरतानो हीत जी,
कुळदेवी किरपा करे दिव्य राजपूती रीत जी,

समरे अकेला बनी घेला वंश वाघेला वडो,
वीरधवल हांके मुघल फाके धूळ डंमर नो धड़ो,
अणनम शहीदी राय करणे लीधी मोत सहित जी,
संघजी समोवड अडग दिव्य राजपूती रीत जी.

वाघण बनी अंबा उछेरे बाळ व्याघरदेव ने,
माळवा जेवा पाडीया विशळदेवे खेव ने,
खानो मानो एक साथो बार जुधा जीत जी,
चांदा तणा चड़ शीश दिव्य राजपूती रीत जी,

परमार माता जोमबाई मुंज ने लखधीर जी,
तेतर काजे जंग बाजे चभाड़ा को चीर जी,
केसर काने पकड़ दाने दीये चांचो चीत थी,
परदुख्खभंजण राज दिव्य राजपूती रीत जी,

मूळी तणे पादर परमारो कुंवर रमत्यु रमे,
दइ आशरो जत कुटुंबने लइ वेर सिंधीनो खमे,
दळ कटक ना कटका करी भड़वीर लड़ परहित जी,
लखधीर राख आशरो दिव्य राजपूती रीत जी,

सुर समीरसूत ना पुत सपुतो जेठवा राणा जहां,
गढ़ घुमली छांया मोरबीने राणपुर गादी तहां,
ठाम अंते पोरबंदर थायी त्यां जइ थीत जी,
वर्षो पूराणों वंश दिव्य राजपूती रीत जी,

नागाजणो तो वीर न्यां हाकल हलामण गूंजती,
विकमत राणो वीर ज्यां धरणी धराहर धृजती,
शृंगार शहीदीनो सजी शणगार शोभे शीत जी,
राणी कलाबा जगवती दिव्य राजपूती रीत जी.

मदमत्त गज गांड़ो थयो ज्यां बाळ नाना खेलता,
गढ़ झरुखेथी शकत कर लंबावी कुंवरो झिलता,
झालीया थी झाला थया हरपाल बेटा चीत जी,
मखवान मरदो महा दिव्य राजपूती रीत जी.

अड़ीखम महाराणो उभो जे घाट हल्दी समर मां,
विण नोतरी विपती चड़ी ती कसी खांडा कमर मां,
सिंह मान झाला लइ भाला सिधावो रण शीत जी,
भेरू तणी भीत दिव्य राजपूती रीत जी,

जंगे जगेता भगे भे ता रणे रेता राजीयो,
आभे अड़ेजा कुळ कलेजा एव जाडेजा जियो,
आशा पुरा परचो पुरा मोमाई मोरा हीत जी,
खत्री खरा रखवट दिव्य राजपूती रीत जी,

अबडो उगारी शरण सुमरी लाज रण पोढ़ी गया,
कुंवर अजोजी वरण मांडव मरण जुधे जइ वया,
लाखा फुलाणी तेग ताणी जरा पण माँ जित नी,
अजराअमर इतिहास दिव्य राजपूती रीत जी,

पिता तणा ले पाट धरणी चावड़ा चापिया,
वन वने भटकी चाप चटकी राज पाटण थापिया,
अणहिल्ल भेरू खरो मेरु समोवडियो चीत जी,
वनराज राजा वडो दिव्य राजपूती रीत जी,

उपमा अटंकी वात वंकी वंश सोलंकी शूरा,
मुळराज गुर्जर राज राख्या धजा कुकुटी नी धुरा,
जयसिंह पाड़ी भींह अरिपर लींह कीर्ति शीत सी,
तलवार थी ये तीखी दिव्य राजपूती रीत जी,

पंथक पिछाणे गढ़ जुनाणे राह्कुळरा बेसणा,
दळबळ थकी लइ लेव जेवी कैक नृप नी एषणा,
यदुकुल रीती नही भीति सही निति चीत नी,
दानी जबानी दिसे दिव्य राजपूती रीत जी,

हारेल होडे शीश बीजल दियासे दीधा हता,
बेनी बचावण भूप नवघण सिंध जिव लीधा हता,
कवियों हुलासे एक श्वासे गाय तमणा गीत जी,
खेंगार खेंचे खडग दिव्य राजपूती रीत जी,

दिव्यराजसिंह सरवैया कृत छंद सारसी माँराजपूती रीत प्रशस्ति

राजपूती रीत प्रशस्ति

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