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क्यों गांव के सीधे-साधे पप्पू को खूंखार अपराधी आनंदपाल सिंह बनने पर मजबूर कर दिया ?

क्यों गांव के सीधे-साधे पप्पू को खूंखार अपराधी आनंदपाल सिंह बनने पर मजबूर कर दिया ?


क्यों गांव के सीधे-साधे पप्पू उर्फ आनंद को खूंखार अपराधी आनंदपाल सिंह बनने पर मजबूर कर दिया ?



"भाई साहब राजेंद्र जी टाक द्वारा लिखी सचाई"
बिकाऊ मीडिया का झूठ आया सामने " मीडिया में बताया जा रहा है कि आनंदपाल की शादी में उसे घोड़ी पर नही चढ़ने दिया तब छात्र नेता जीवन गोदारा आया उसने इसकी बन्दोली निकलवाई जो कि सफेद झूठ है,,,आनंदपाल की शादी बचपन मे की गई थी उस समय वो जीवन गोदारा को जानता भी नही था, बन्दोली भी सांवराद के रावला से निकली थी तो रोकने वाले कोन थे ?
क्यों कि आनंदपाल की शादी 1992 में हुईं उससे दो वर्ष पहले ही जीवन राम गोदारा जो मदन सिंह राठौड़ की हत्या कर फरार हो चुका था जिसे 1994 में गिरफ्तार किया गया था ,,हत्या का फरार अपराधी कतई बनोरी में नही आ सकता,,,शादी में भी नही आ सकता,,
बिकाऊ मीडिया दुष्प्रचार कर रहा है,,,
आनंदपाल के फर्जी एनकाउंटर में बिकाऊ मीडिया उतना ही दोषी है जितना भ्रष्ट पुलिस तंत्र

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जिसने भी आनंदपाल सिंह को बचाने का प्रयास किया उसे भ्रष्ट पुलिस वालों ने झुटे मुकदमों में फंसाया और मीडिया ने उन्हें आनंदपाल के गुर्गे बताकर बदनाम किया इसी कारण से आनंदपाल के साथ हुए अन्याय के खिलाफ आवाज उठाने की हिम्मत किसी ने नहीं की
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मैं आनंदपाल के जीवन और उसके साथ हुए अन्याय को ब्यौरा बार बताने का प्रयास कर रहा हूँ
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31 दिसंबर 1999 शुक्रवार का दिन समय करीब 9:00 बजे राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय मंगलपुरा लाडनूँ के ग्राउंड में जीप संख्या RJ 21 5745 आकर रुकी मैं आठवीं कक्षा में गणित पढ़ा रहा था गाड़ी में अकेला एक नौजवान ड्राइविंग सीट से उतरकर प्रधानाध्यक कक्ष की ओर बढ़ने लगा मैं जिज्ञासा वश बाहर बरामदे में यह देखने आया कि कोई शिक्षा अधिकारी आया होगा मेरी उस पर उस की मुझ पर नजर पड़ी तो बेहद खुश नजर आ रहा था भागकर मेरे पास बरामदे में आया मुझे गोद में उठा कर नाचने लगा विद्यालय के सारे छात्र छात्राएं और शिक्षक व दृश्य देख कर हंसने लग गए मैंने उससे पूछा क्या बात है इतना खुश क्यों है तब उसने बताया कि उसको आज बेटा हुआ है मैं भी बहुत खुश हुआ मैंने उसे बधाई दी पूरे विद्यालय के शिक्षकों और विद्यार्थियों के लिए मिठाई मंगवाई फिर वह गाड़ी में बैठकर लाडनूँ शहर की तरफ अपने अन्य मित्रों को इस खुशी के समाचार देने के लिए चला गया वह बंदा कोई और नहीं था वह आनंदपाल सिंह सांवराद था
31 दिसंबर 1999 मिलेनियम वर्ष कि हमारे दोस्तों की पार्टी जो चंद्रमुखी होटल में पहले से ही तय थी वह पार्टी बेटे की जन्म की खुशी से दुगुनी हो गई पार्टी की व्यवस्था की जिम्मेदारी अनिल माली मंगलपुरा और जोगेंद्र माली मंगलपुरा को दी गई डीडवाना क्षेत्र से भागीरथ यादव भागीरथ नेतड़ ,गोपी राम गोदारा रामस्वरूप चौधरी राजेन्द्र पचार ओर लक्ष्मण सिंह घिरड़ोंदा प्रताप सिंह पांडोराई हनीफ खत्री अपने इष्ट मित्रों सहित पार्टी में शामिल होने चंद्रमुखी होटल आये नारायण शर्मा बाबूलाल जांगिड़ रेवत माली व तथा कलवानी से देवाराम मांडिया लाडनूँ विधानसभा क्षेत्र के गांव लेडी शिव भगवान रिणवा व धोलिया से रामकुवार थालोड़ अपने दोस्तों के साथ आये रात्रि को अलाव जलाये गये, ढोल नगाड़े बजे बांकिया तुरी बजे कलाली भी चली रात को 2:00 बजे तक पार्टी चली खीर ,जलेबी ,सब्जी पूरी सपने पर पेट खाया रसोईया सुभाष देवडा ने लाजबाब खाना बनाया सब ने आनंद पाल को पुत्र रत्न प्राप्ति पर बधाई दी और अपने अपने घर चले गए आनंदपाल सिंह के पिताजी हुकुम सिंह जी उन्होंने आरएसी से हवलदार पद से रिटायर होकर उन्होंने एक ट्रक खरीद कर लाडनूँ ट्रांसपोर्ट यूनियन में लगाया हुआ था आनंदपाल ने सीमेंट की एजेंसी ले रखी थी जो लाडनूँ के वाटर वर्क्स चौराहे पर उसकी दुकान थी बहुत अच्छी सीमेंट सप्लाई होती थी अच्छा भला संपन्न परिवार खुसी से गांव सांवराद में रहता था पूरा परिवार रामस्नेही संप्रदाय से जुड़ा होने के कारण घर परिवार का कोई भी सदस्य शराब बीड़ी सिगरेट चाय का सेवन नहीं करता था आनंदपाल सिंह अपने दोस्तों के साथ जब भी बेठता था संस्कारवान व चरित्र निर्माण की बातें करता था औरतों के सम्मान की बात किया करता था वह अपने सभी साथियों को कहता था कि जब बस में सफ़र करें तो कोई भी बहन बेटी खड़ी नहीं हो उसे तुरंत सीट दिलवा दी जाए और किसी भी युवा जो सीट पर बैठा है उसको खड़ा करके बहन बेटी को सीट दिलवाने की बात किया करता था आनंदपाल के चरित्र और संस्कारों को लेकर उसका हर एक व्यक्ति कायल था उसके साथी उसे अपना आदर्श मानते थे उसने लाख बदनाम करने की कोशिश मीडिया के माध्यम से हुई परंतु उसको जानने और चाहने वाले इस झूठ को झूठ ही मानते थे|

 आनंदपाल सिंह सांवराद चरित्रवान व्यक्ति था यह सब स्वीकार करते हैं ,,उसके सिद्धांतों में दुश्मन की बहन को भी अपनी बहन मानने की ताकत थी खुशियों भरे जीवन में जब दुख का अंबार आया तो यह नोजवान युवा इस भ्रष्टतंत्र का सामना करने में प्रयास करता रहा लेकिन भ्रष्टाचारी लोगों ने उसे मिटा दिया न्याय नही दिया हैं यही कहानी उसके जीवन में हुई गांव आबसर जिला चूरु आनंदपाल सिंह का भाई जैसा मित्र रायचन्द कालेर जाति जाट जो अचानक बीमार होकर दुनिया छोड़ गया रायचन्द कालेर का कोई दूसरा भाई नहीं होने से आनंद पाल और इसके दोस्त हर रक्षाबंधन पर उसके गांव जाते उसकी बहनों से राखी बंधवाते और रायचन्द कालेर की फोटो पर फूल माला चढ़ा कर श्रद्धांजलि देकर वापस आ जाते आनंदपाल ने मुझे कहा कि हमें रायचन्द कालेर की स्मृति में गांव आबसर में क्रिकेट टूर्नामेंट शुरू करके इसकी स्मृति को चिरस्थाई बनानी चाहिए सब मित्रों के आर्थिक सहयोग से हर वर्ष क्रिकेट टूर्नामेंट करना प्रारंभ किया गया सभी युवाओं को रायचन्द कालेर की मां देखकर अपने बेटे की मौत का दुख भूलने लग गई बहनों को भी सैकड़ों भाइयों का प्यार मिलने लग गया क्रिकेट टूर्नामेंट के सफल संचालन कमेंट्री और पारितोषिक वितरण में माइक पर बोलते बोलते आनंदपाल सिंह में नेतृत्व क्षमता का विकास होने लगा हर जाति धर्म का युवा उसके मित्र थे सब के कहने पर सांवराद पंचायत सर्किल से पंचायत समिति सदस्य का चुनाव लड़ने का निर्णय हुआ जहां कांग्रेस से सांवराद के ठाकुर मोहन सिंह जोधा व भारतीय जनता पार्टी से दत्ताउ ठाकुर दलजीत सिंह जोधा चुनाव लड़ रहे थे उनके सामने युवाओं का चहेता आनंदपाल सिंह सांवराद निर्दलीय मैदान में उतर गया गरीब जनता का भारी समर्थन मिला सभी जाति के दोस्तों ने भारी मेहनत करके आनंदपाल सिंह को भारी मतों से चुनाव जीता दिया चुनाव जीतने के बाद की राजनीति कुछ अलग बन गई विधायक हरजीराम बुरडक ने उपप्रधान पद का ऑफर करके समर्थन मांगा तो भारतीय जनता पार्टी के नेता छगन लाल दायमा ने आनंदपाल सिंह को प्रधान का टिकट देकर चुनाव लड़ने का ऑफर किया गांव मंगलपुरा में स्थित बैरागी समाज धर्मशाला के हॉल में मीटिंग हुई सब दोस्तों ने तय किया कि हार जीत की परवाह किए बिना हम प्रधान का चुनाव लड़ेंगे भारतीय जनता पार्टी का टिकट मिल गया चुनाव लड़ा 2 वोट से चुनाव हार गया कांग्रेस उम्मीदवार जगन्नाथ बुरड़क प्रधान बन गए आनंदपाल सिंह नेता प्रतिपक्ष बन गए समय बीतता गया पंचायत समिति की बैठक भी चलती रही सब ठीक
ठाक चलता रहा आया माह नवंबर 2000 का वह दिन जब स्थाई समितियों का चुनाव था विधायक हरजीराम बुरडक स्वयं बैठक में मौजूद प्रधान जगन्नाथ विकास अधिकारी रमेश चन्द्र व सरपंच पंचायत समिति सदस्य जिला परिषद सदस्य मौजूद धूड़ीला गांव की सदस्य ने जब शिक्षा समिति के लिए आवेदन प्रस्तुत किया तो विकास अधिकारी ने समय समाप्त होना बताकर आवेदन फार्म लेने से मना कर दिया तब आनंद पाल सिंह ने घड़ी दिखाते हुए कहां की अभी 10 मिनट और शेष है तब विधायक ने आनंदपाल सिंह को डांटते हुए कहा कि" तू ज्यादा नेतागिरी मत कर नेतागिरी ढिल्ली करवा दूंगा" तब इसी बात को लेकर सदन में गर्मागर्मी और तनाव का माहौल बना तीखी नोकझोंक हुई विधायक ने विकास अधिकारी को दबाव में लेकर आनंदपाल खिंवाराम घिंटाला व सुरजन सिंह के खिलाफ राजकार्य बाधा का मुकदमा लाडनूँ थाने में संख्या 237/2000 दर्ज करवा दिया थानाधिकारी को विधायक ने फोन करके जांच चंद्राराम जाट ए, एस ,आई, को दिलवा दी फिर चंद्राराम को बुलाकर कान में कुछ ऐसा कहा की आनंदपाल सिंह के परिवार की बर्बादी शुरू हो गई उसी दिन ASI चंद्राराम जाट ने अशोक सैनी नामक युवा को थाने बुलाकर आनंदपाल उसके भाइयों और उसके दोस्तों के खिलाफ झूठा मुकदमा गैर जमानती धाराओं में दर्ज करने का प्रयास किया है जिसकी जानकारी अशोक सैनी के पिता सागरमल सैनी को हुई तो वह थाने पहुंच गए और उन्होंने ए,एस, आई को कहा कि मेरे बेटे को बलि का बकरा क्यों बनाते हो तब ASI चंद्राराम ने सागरमल सैनी को डांट डपट कर भगा दिया और अशोक सैनी को गाड़ी में बिठा कर विधायक के घर ले गया जहां जगन्नाथ बुरड़क ने FIR का मजमून बोलकर अपने एक कार्यकर्ता प्रेम सुख से लिखवा कर अशोक सैनी के जबरन हस्ताक्षर करवा कर आनंदपाल सिंह अनिल माली जोगेंद्र माली मंजीत सिंह रुपेंद्र पाल सिंह पप्पू सिंह परावा आदि के खिलाफ झूठा मुकदमा संख्या 239/2000 दर्ज कर लिया जो कि स्वयं अशोक सैनी ने न्यायालय में हुये बयानों में बताया,,,,
आनंदपाल सिंह इस मुकदमे की तफ्तीश बदलवाने के लिए जयपुर चला गया पीछे से अनिल माली और जोगेंद्र माली को ए, एस, आई चंद्राराम ने गिरफ्तार कर जेल में डाल दिया 15 दिन बाद जब अशोक सैनी को बंधन मुक्त किया गया तो उसने आनंदपाल के मित्र संजय शर्मा से संपर्क किया संजय शर्मा उसे लेकर कॉमरेड भागीरथ यादव के पास ले गया भागीरथ यादव अशोक सैनी को लेकर नागौर पुलिस अधीक्षक गोविंद गुप्ता के पास आया पूरी बात SP को बताई तब SP ने लाडनूँ थाना अधिकारी नरोत्तम मीणा को फोन पर डांटा और मुकदमे में एफ,आर लगाने के निर्देश दिए जब भागीरथ यादव और आनंदपाल अशोक सैनी को लेकर लाडनूँ थाने पहुंचे तब तक विधायक ने अपने राजनीतिक ताकत से पुलिस महानिदेशक शांतनु कुमार से SP को फोन करवा कर दबा दिया ज्यो ही अशोक सैनी को लेकर भागीरथ यादव और आनंद पाल लाडनूँ थाने पहुंचे एएसआई चंद्राराम में अशोक सैनी को एक कमरे में बैठा दिया और इंहें जाने का बोल दिया फिर चंद्राराम ए,एस आई ने एक मजमून सादे कागज पर अशोक सैनी से मारपीट करके लिखवाया जिसमें भगीरथ यादव आनंदपाल सिंह अनिल माली जोगिंदर माली रुपेंद्र पाल मंजीत सिंह द्वारा अपहरण कर डीवाईएसपी ऑफिस sp ऑफिस ले जाने का वर्णन कर नया मुकदमा संख्या 01/2001 दर्ज कर लिया तब आनंदपाल सिंह ने अपने मित्र जो उस समय डीडवाना थाने में प्रभारी लगा हुआ था जिसका नाम विद्या प्रकाश मुण्ड है जिसके द्वारा ही अभी आनंदपाल के एनकाउंटर के नाम पर हत्या करने का सन्देह व्यक्त किया जा रहा है उससे संपर्क किया तो उसने उसने बताया कि वायरलेस पर मैसेज चल रहा है तुझे गिरफ्तार करने के आदेश है DGP के फोन के बाद sp ने हाथ खड़े कर दिए हैं,, तो आनंदपाल अपने मित्र विधायक अमराराम कामरेड के जयपुर स्थित क्वार्टर में जाकर बैठ गया और झूठे मुकदमों से बचने का प्रयास करने लगा उसी दरमियान 9 जनवरी 2001 को मौलासर गांव में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की सभा पर किसानों ने पत्थर फेंके काले झंडे दिखाए तो वहां भी मौलासर थाने में मुकदमा संख्या 3 / 2001 दर्ज हुआ जिसमें भी आनंदपाल सिंह को बतौर मुलजिम नामजद किया गया मेंने इन झूठे मुकदमों की शिकायत और ए,एस आई चंद्राराम की खोटी तफ्तीश बाबत नेता प्रतिपक्ष श्री भैरों सिंह जी शेखावत और मुख्यमंत्री श्री अशोक गहलोत को शिकायत की जिसकी जानकारी ASI चंद्राराम को हो गई तो उसने 16 जनवरी 2001 को रात्रि में 12:30 बजे डीडवाना थाने में एक लूट का मुकदमा संख्या 07/2001 सलीम नामक व्यक्ति से मेरे और आनंद पाल सिंह के खिलाफ तथा पूर्व विधायक दीपंकर शर्मा के दोहिते, प्रधान के बेटे संजय शर्मा के खिलाफ दर्ज करवाया जिसमें मुझे 8 फरवरी 2001 को इस झूठे मुकदमे में ए, एस आई चंद्राराम व जसवंतगढ़ थाना अधिकारी गोमाराम गिरफ्तार करके ले गए और डीडवाना थाना भिजवा दिया डीडवाना थाना में अनुसंधान अधिकारी सत्येंद्र नेगी और इंचार्ज अमरजीत सिंह बेदी को मैंने मेरी बेगुनाही बताई तब डीवाईएसपी रामफूल मीणा को थाने बुलाया गया उन्होंने मुकदमा झूठा होना मानकर मुझे छोड़ने का निर्णय लिया है तभी किसी उच्च अधिकारी का फोन आया और उन्होंने निराश मन से मुझे कहा तुम्हारे दिनमान खराब है हमारी बेल्ट की नौकरी में उच्च अधिकारी का आदेश ही सर्वोपरि है मैं कुछ नहीं कर सकता और मुझे गिरफ्तार कर लिया गया न्यायालय में पेश किया गया रिमांड पर लिया गया मैं डीडवाना थाने में पुलिस रिमांड पर चल रहा था तभी 11 जनवरी 2001 को रात्रि में खेराज चौधरी और उसके दोस्तों ने आसोटा गांव के शराब ठेके के पास शराब और मीट पार्टी का आयोजन किया वहां शराब के नशे में आपस में झगड़ा हुआ आपस में झगड़ा हुआ और खेराज के चाकू लगने से मौत हो गई खेराज के साथी महिप पटेल ने थाने पहुंचकर एएसआई चंद्राराम को सूचना दी ASI चंद्राराम महीप पटेल को लेकर विधायक के घर पहुंच गया जहां षड्यंत्र रचा गया मेरे बारे में विधायक को पूर्ण जानकारी नही थी कि मैं थाने में बंद हूं या जमानत पर छूट गया हूं इसकी पूरी जानकारी करने के लिए हीर सिंह बल्हारा वकील को डीडवाना थाना भेजा उसने मुझे जगा कर मेरा चेहरा देखकर पूरी तसल्ली की फिर हत्या का मुकदमा जसवंतगढ़ थाने में 19/2001 आनंदपाल सिंह मनजीत मनीष के खिलाफ दर्ज करवाया गया मैं उस वक्त थाने में बंद था इस कारण मेरी जगह मेरे छोटे भाई अनिल माली को इस मुकदमे में मुलजिम बनाया गया ,,,

मेरी जमानत 12 फरवरी 2001 को हुई तथा मुझे 48 घंटे पुलिस अभिरक्षा में रखे जाने के कारण राजकीय सेवा से निलंबित कर मेरा मुख्यालय नागौर कर दिया गया मैं 20 मार्च को रिलीव होकर नागौर आ गया और नागौर में ही सेटल हो गया इन्हीं झूठे मुकदमों के आधार पर सन 2001 में आनंदपाल सिंह ,अनिल माली, जोगेंद्र माली भागीरथ यादव आदि को हिस्ट्रीशीटर घोषित कर दिया तथा आनंदपाल को इनामी मुलजिम हार्डकोर अपराधी का प्रमाण पत्र पुलिस ने जारी कर दिया ASI चंद्राराम जाट द्वारा अशोक सैनी को डरा धमका कर झूठे मुकदमे करवाने के मामले में स्वयं अशोक सैनी में राजस्थान उच्च न्यायालय में धारा 482 CRPC मैं रिट लगाकर उस मुकदमें को झूठा होना बताया लोकायुक्त सचिवालय मानव अधिकार आयोग में भी शिकायतें दर्ज करवाई जिस पर थाना अधिकारी नरोत्तम मीणा व ASI चंद्राराम को चार्ज सीट मिली विभागीय कार्यवाही प्रारंभ हुई परंतु आनंदपाल सिंह जैसे सीधे-सादे निर्दोष के साथ ओर भी कई व्यक्तियों का जीवन झूठे मुकदमों से बर्बाद हो गया झूठ कपट और षड्यंत्र वाले मुकदमों से पुलिस ने हिस्ट्रीशीटर हार्डकोर इनामी मोस्ट वांटेड गैंगस्टर का प्रमाण पत्र पुलिस जारी करती गई कभी भी किसी ने नहीं सोचा की जिसे दुनिया इतना प्यार कर रही है उसकी सच्चाई तो जाने हंसते-खेलते परिवार को पुलिस तंत्र की भ्रष्ट व्यवस्था और उच्च अधिकारियों के नाजायज फरमान की पालना में दर-दर की ठोकरें खाने पर मजबूर कर दिया अंत में थक हार कर अपने मित्र भागीरथ नेतङ से संपर्क किया और सन 2003 में भागीरत यादव भागीरथ नेतड ने आनंदपाल को अपने घर लोसल बुलाया और अपने उसी पुलिस अधिकारी मित्र विद्या प्रकाश सी आई जो उस समय नागौर कोतवाल था जिस पर आज दुनिया दोस्ती में विश्वास घात कर फर्जी एनकाउंटर करने का संदेह कर रही है उसके सामने आनंदपाल ने लोसल गांव में भागीरथ नेत् ड के घर पर सरेंडर कर दिया विद्या प्रकाश ने गिरफ्तारी दिखाकर आनंदपाल को जसवंतगढ़ थाने भिजवा दिया उपरोक्त सभी मुकदमें जो झूठ की जड़ों पर खड़े थे सब में आनंदपाल की जमानत हो गई वह जेल से बाहर आ गया लेकिन ,,, ,,,,जब भी न्यायालय में पेशी पर जाता तब दबंग लोगों की टोली न्यायालय में लाठियां लेकर उसे मारने पीटने का प्रयास करती जैसे तैसे वह अपने आप को बचाता अंत में उसे जान से मारने का फरमान जारी हुआ चार Bolero गाड़ियां दबंगों से भरी जाकर हथियारों सहित आनंदपाल को मारने के लिए ढूंढना शुरू हुआ मगर कानून के रखवालों ने उसकी रक्षा करने का धर्म नहीं निभाया थक हारकर हथियार उठाने पर मजबूर हुआ अगर पुलिस का भ्रष्ट आचरण पक्षपात पूर्ण रवैया नहीं होता ओर मीडिया दुष्प्रचार नही करता तो आज एक चरित्रवान और संस्कारवान युवा को गेंगस्टर का खिताब नहीं मिलता और ना ही एनकाउंटर के नाम पर उसकी हत्या होती बहुत बड़ा सामाजिक कार्यकर्ता या कोई राजनेता होता मैं उसे अपना छोटा भाई मानता था वो मुझे बड़ा भाई मानता था मुझे उसकी हत्या से बेहद दुख पहुंचा है मैं जीवन भर अपने भाई आनंदपाल सिंह को शहीद मानकर लोकतंत्र के सच्चे प्रहरी का सम्मान दूंगा मुकदमा संख्या 237/2000 व 239/2000 तथा 01/2001 पुलिस थाना लाडनूं वालों में सब में गवाहों ने इन मुकदमों को झूठा और षड्यंत्र पूर्वक विधायक उसके बेटे व ASI चंद्राराम द्वारा रचा गया कूट कार्य बता कर बयान दिये जिनमे तथा डीडवाना थाने में दर्ज मुकदमा संख्या 07/ 2001 ओर मौलासर में दर्ज मुकदमा संख्या 03/ 2001 सब मे न्यायलय ने बाइज्जत बरी कर दिया,,, जसवंतगढ़ थाने के मुकदमा संख्या 19/2001 में भी गवाह ने सच्ची बात बता दी की विधायक के दबाब में झुठा मुकदमा दर्ज करवाया था उसमे भी न्यायालय से बाइज्जत बरी होना है,,,
जिन मुकदमों के आधार पर हिस्ट्रीसीटर हार्डकोर , मोस्टवांटेड गैंगेस्टर का खिताब दिया गया उन सबको न्यायालय ने झुठा माना और दोषमुक्त कर दिया,,,, फिर भी बिकाऊ मीडिया ने आज तक कभी भी असली कहानी बताने की जरूरत क्यो नही समझी,,,,
अनुराधा चौधरी जो आनंदपाल को अपना भाई मानती है वो उसे बहन मानता था उसे मीडिया मासूका बता कर दुषप्रचार कर रहा है,,, एक चरित्रवान व्यक्ति पर झुटे लांछन लगा कर जो अपराध भृष्ट पुलिस ने किया उसी अपराध में सरीक मीडिया भी रहा है,,,,
भाई साहब को शत शत नमन
आनंदपाल सिंह जिंदाबाद....

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