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लाश पर ठहाके लगाते जश्न मनाने जुटे विधायको को समाज कब तक सिरमौर बना कर रखेगा?

लाश पर ठहाके लगाते जश्न मनाने जुटे विधायको को समाज कब तक सिरमौर बना कर रखेगा?

लाश पर ठहाके लगाते जश्न मनाने जुटे विधायको को समाज कब तक सिरमौर बना कर रखेगा?

लाश पर ठहाके लगाते जश्न मनाने जुटे विधायको को समाज कब तक सिरमौर बना कर रखेगा?

हम गोलिया खा लेंगे...देश के लिये मर मिट जायँगे उफ़ तक नहीं करैंगे...ना बलिदानों की कीमत मांगी और ना ही मागेंगे लेकिन कौम का अपमान और स्वाभिमान को चोट सहन नहीं करैंगे ... लेकिन अब तय है हम लाशो का हिसाब भी लेंगे और गोलीयों का जबाब भी देंगे...

तथा कथित परम सम्मानिनिय राव राजेन्द्र सिंह जी जो समाज की संघर्ष समिति को कितने हल्के में अपमान जनिक तौर कहते है कि इन पर क्या विश्वास कर ओर इस वीडियो के सबसे खतरनाक शब्द भी आप इन्ही राव साहब के मुँह से सुन लेवे की ....... गजु बना यह जो CBI जांच इनको मिली है ना वो इतना जबरदस्त पिण्डोराज बॉक्स ( मतलब यूनानी पुराणकथाओं के अनुसार ऐसा बक्सा जो न्याय मांग रहे लोगो को परेशानियों और दुख के साथ दंडस्वरूप राजा ने न्याय के स्थान पर थमा दिया हो )

खुला है न , यह मरेंगे ( पूरा समाज और लड़ाई लड़ने वाले नेता ) और अब आप देखना इनके साथ क्या होता है . आप बात को समझना कि जिस CBI जांच का हम जश्न मना रहे है , यह सरकार इसमें राव साहब जैसे बुद्धिजीवियों की राय पर समाज को ही घेरने का प्रयास कर रही है , वो साफ कह रहे है कि इस जांच में राजपूतो को ही इस तौर पर फसाना है कि कभी पीढ़ियों तक भी यह भाजपा के खिलाफ खड़े होने का सोच भी न सके । जब सत्ता में बैठे हमारे लोग ही गद्दार है तो आंदोनल में आम राजपूत की जीत हो ही कैसे सकती है । हम यह लड़ाई जीत कर भी हार गए और हमे इन निर्लज लोगो ने हरा दिया , कितना भोला है समाज जो मुख्यमंत्री को क्या कुछ नही बोल रहा था पर आज पता चला की समाज के स्वाभिमान का सौदा तो इन गद्दारों ने किया , समाज को बेइज्जत करने का ।
बेहद ही गंभीर , सत्ता , शासन और कुर्सी के लालच की सभी हदे पार करते हमारे जन प्रतिनिधि जो आम राजपूत की लाश पर ठहाके लगाते हुए आज 22 जुलाई स्थगित होने पर जश्न मनाने जुटे है , लोकतंत्र में समाज के लिए सबसे कलंकित वीडियो जिसमे समाज को बेहद बोना ओर अदना साबित करने में जुटे समाज के ही बनाये बेहद गिरे हुए विधायक और मंत्री ।

Anandpal Singh Village 
विश्वास नही हो रहा कि जिस मुद्दे पर समाज उद्वेलित है , आवेश में है । लाखो की भीड़ के बाद भी हजारों युवाओ पर मुकदमे लगा दिए गए , बेरोजगार होनहार बच्चो का भविष्य खराब कर दिया गया , अबोध राजपूत युवाओ से जेल भर दिये गए , एक बेकसूर युवा को जान से मार कर उस घर के चिराग को बुझा दिया गया , उसके दाह संस्कार से पहले उसकी लाश को छोड़ उसके पिता बड़ी उम्मीद से न्याय के लिए आप लोगो के पास आता है और आप लोग उसकी लाश पर बड़ी दावत में जश्न मनाते हुए आम राजपूत के आंसुओं पर हंसी ठिठौले कर रहे हो ।

समाज की पूरी संघर्ष समिति , हर संगठन , हर कार्यकर्ता बड़ी ईमानदारी से लडा , हमारे सभी सामाजिक नेतृत्व , सामाजिक संघठनो ओर हर युवा को साधुवाद जो पूरी ईमानदारी से लड़ा परन्तु , इन चंद विधयक गद्दारों ने खुद के जमीर के साथ समाज का स्वाभिमान भी बेच दिया ।

जहां पूरा समाज सभा भवन में गोगामेड़ी को बचाने के लिए पुलिस से लोहा ले रहा था , वही खींवसर , राजपाल और बाजोर इस गोगामेड़ी को जेल की सलाखों के पीछे भेजने का कुचक्र रच रहे है ।
हम सब एक है , हमारे सभी नेताओं और संघठनो पर हमें पूरा विश्वास है , हम एकजुटता से लड़े ओर जीते , हमारे किसी नेतृत्व ने इनसे कोई गुप्त वार्ता नही की , सब लोग पूरी ताकत के साथ सरकार के खिलाफ लड़े , अब इन मंत्रियों और विधायकों की ज़मीन पैरो तले खिसक रही है तो इनके चमचे इसे दूसरा रूप देकर समाज मे बिखराव करना चाहते है ओर इनके गुर्गे लिख रहे है कि ये सब अन्दुरुनी तौर पर मुख्यमंत्री से समाज की बात कर रहे थे , तो भई मुझे तो इनमें से एक दो को छोड़कर किसी की इतनी हैसियत लगती नही जी महारानी के सामने कोई बात रखने जा भी सके ।

अगर समाज का साथ ही देना था तो 25 दिनों तक क्या लाशें बिछने का इंतजार कर रहे थे , क्या हजारों युवाओ का भविष्य गर्त में ले जाने का इंतजार कर रहे थे और इतने समाज चिंतक ही होते तो जब इन्हें समाज का साथ देने सभा भवन बुलाया तो क्यो बिलो में छुपे रहे ।

इन्होंने महारानी को यह विश्वास दिया कि हम सब मिलकर समाज को आपके कदमों में बेठा देंगे पर आप सब लोगो की ताकत और एकता ने उनके घमंड को चकनाचूर कर दिया ।
अब भी निरंतर प्रयास किया जा रहा है कि इनकी एकता टूटे ओर कुछ भोले भाई इसमें फंस कर एक दूसरे पर आरोप भी लगा रहे है , आप समझदार हो , इनकी राजनीति से बचो , एक रहो , सोशल मीडिया पर एक दूसरे को गालियाँ देने की बजाय इनकी साजिशों को समझो ।

अभी आंदोलन खत्म नही हुआ है बस गेंद सरकार के पाले में गयी है , अगर कुछ बईमानी हुई तो फिर सड़को पर आना पड़ेगा , सेनापति मकराना , गोगामेड़ी ओर हजारों भाइयों के मुकदमो के लिए लड़ना है पर यह तभी संभव है जब हमे एक दूसरे पर आपसी विश्वास रहेगा वर्ना लड़ते रहो एक दूसरे से , सरकार की साजिश को सफल कर दो ।
अब आप ही तय करे कि भाजपा के इन एजेंटों ( विधायको) को समाज कब तक सिरमौर बना कर रखेगा। हम सालो से इनको सबक सिखाने की बात तो करते है पर जब ये सामने आते है तो इनकी चरण वंदना में लग जाते है , चुनाव नजदीक है बस एक बार बता दो इन्हें समाज से गद्दारी का परिणाम , तय मानिए फिर कोई ऐसा दुरसाहस नही कर पाएगा ।
समाज इस बात एकजुट ओर एकजुट रहेगा , हम प्रण लेते है कि सामाजिक नेतृत्व ओर संघठनो पर आरोप ओर लड़ाई को बिल्कुल खत्म करते है ।
कसम है माँ भवानी की एक एक शब्द पढ़ना और सही लगे तो आग की तरह फैला देना ।


अमित शाह दलित प्रेम और राजपूत समाज-

अमित शाह गांधी और अम्बेडकर की समाधि पर गए मुझे कोई आपत्ति नहीं 
बाबोसा की समाधि पर नहीं गए मुझे कोई गम नहीं सायद इतने बड़े नेता के पास वक्त की कमी रही होगी 
लेकिन BJP कायार्लय में दो फूल बाबोसा को नसीब नहीं हुये मुझे गम भी हुवा और दिले दर्द भी 
अमित शाह सांवरमल जाट से मिलने SMS हॉस्पिटल में मिलने गए मुझे ख़ुशी हुयी 
लेकिन उनके 100 मीटर दुरी पर सांवराद गोली में घायल हमारे भाई महेंद्र सिंह जिंदगी और मौत से लड़ रहे है 
उनसे भी मिलते तो पूरी कौम को खुसी होती ख़ुशी होती महेंद्र सिंह के पुरखों को जिन्होंने BJP रूपी पेड़ की जड़ो में पानी दिया
मुझे सबसे बड़ी ख़ुशी तो तब हुयी जब अमित शाह जयपुर के हमारे दलित भाई के घर खाना खाने गए
जाना भी चाहिये हमारे कौम के लोग भी उनके साथ गए 
काश अमित शाह एक बार किसी भी बहाने कल्याण सिंह को फ़ोन करके दुःख प्रकट कर देते माना की सुरेद्र ने तो कौम की आवाज पर न्याय की आवाज उठाकर गुनाह किया लेकिन उसके बाप ने देश सेवा में 25 साल कुर्बान किये थे आज उनके घर का एकलौता चिराग बुझ गया मुझे सदमा लगा 
इन सबको छोड़िये देश और धर्म के लिये सब कुछ फ़िदा करने वाले 5 पीढ़ियों के एकलौते वारिश प्रभु सिंह खिरजाखास के पिता को दो सांत्वना के शब्द कह देते जिन्होंने अपने 25 साल के बेटे को अंतिम दर्शन भी नसीब नहीं हुये 
लेकिन इतनी बड़ी पार्टी के इतने बड़े नेता को 2 मिनट नहीं मिला यदि मिलता हम सब कुछ भूलाकर पुनः देश और धर्म को मेरि कौम को परम्परा को जीवित रखने में लग जाता
लेकिन अब हमारे पास कोई बहाना भी नहीं बचा की जिसके सहारे हम इनके साथ जाए 
हम लिया खा लेंगे...देश के लिये मर मिट जायँगे उफ़ तक नहीं करैंगे...ना बलिदानों की कीमत मांगी और ना ही मागेंगे लेकिन कौम गोका अपमान और स्वाभिमान को चोट सहन नहीं करैंगे ... लेकिन अब तय है हम लाशो का हिसाब भी लेंगे और गोलीयों का जबाब भी देंगे...सादर



"वक्त बदला है रक्त नहीं"

                         

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