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 वसुंधरा का आत्मघाती गोल बना आनंदपाल सिंह एनकाउंटर केस

वसुंधरा का आत्मघाती गोल बना आनंदपाल सिंह एनकाउंटर केस

वसुंधरा राजे के लिए गले की फांस बना आनंदपाल सिंह एनकाउंटर केस

बीजेपी का सबसे विश्वस्त वोट बैंक यानी राजपूत समाज इस मुद्दे पर सरकार के खिलाफ खुलकर सड़कों पर आ गया है

Anandpal singh
आनंदपाल सिंह एनकाउंटर केस ने देश के सबसे बड़े राज्य की राजनीति में भूचाल ला दिया है. लंबे समय से फरार राजस्थान के सबसे बड़े गैंगस्टर और एपी के नाम से कुख्यात आनंदपाल सिंह के एनकाउंटर पर वसुंधरा सरकार वाहवाही की उम्मीद कर रही थी लेकिन ये एनकाउंटर सरकार के गले की फांस बनता नजर आ रहा है.
राजपूत समाज ने एनकाउंटर को फर्जी घोषित कर दिया है. एपी का परिवार इस एनकाउंटर की सीबीआई जांच की मांग कर रहा है. हालात ये हैं कि एनकाउंटर के दो हफ्ते बाद और पुलिस-प्रशासन के बार बार नोटिस के बावजूद एपी के अंतिम संस्कार के लिए परिवार तैयार नहीं है. प्रशासन को चुरू और नागौर जिलों में इंटरनेट सेवा बाधित करनी पड़ी है. एपी के गांव सावरण्द आने जाने वालों का रिकॉर्ड रखने के साथ ही इलाके की ड्रोन कैमरे से निगरानी भी करनी पड़ रही है.


बीजेपी को है राजपूत वोटों के खिसकने का डर

बीजेपी के लिए ये एनकाउंटर सांप-छुछुंदर की परिघटना भी बन गया है. एक तरफ मुसीबत ये है कि उसका सबसे विश्वस्त वोट बैंक यानी राजपूत समाज इस मुद्दे पर सरकार के खिलाफ खुलकर सड़कों पर आ गया है. सरकार से खफा चल रहे और ब्राह्मण वोटों को अपने साथ ले जाने के प्रयास में लगे सांगानेर विधायक घनश्याम तिवाड़ी के साथ ही सत्ता में लौटने का सपना देख रही कांग्रेस ने भी इस मुद्दे को तुरंत लपका है. घनश्याम तिवाड़ी और अशोक गहलोत ने पूछा है कि जब एनकाउंटर असली है तो सरकार सीबीआई जांच से क्यों कतरा रही है.

दूसरी तरफ मुसीबत ये भी है कि आनंदपाल को जुर्म की दुनिया में शह देने को लेकर सरकार के 4 वरिष्ठ मंत्रियों का नाम सामने आ रहा है. इनमें नागौर, चुरू, सीकर और जयपुर के राजपूत और मुस्लिम नेता शामिल हैं.

आनंदपाल सिंह
आनंदपाल के वकील एपी सिंह ने दावा किया है कि जल्द ही वे इन मंत्रियों से जुड़े सबूत कोर्ट और मीडिया को उपलब्ध कराएंगे जो साबित कर देंगे कि कैसे आनंदपाल को सियासी लोगों ने अपने फायदे पूरे होने तक शह दी और जब एपी उनके राजनीतिक वजूद के लिए खतरा बन गया तो एनकाउंटर के बहाने उसकी हत्या कर दी गई. हालांकि इन आरोपों पर सरकार की तरफ से कोई प्रतिक्रिया नहीं दी गई है. यहां तक कि कथित रूप से आरोपी मंत्रियों ने भी चुप्पी साध रखी है.


विधानसभा चुनावों पर पड़ सकता है असर 

दरअसल, राजस्थान में 2018 चुनावी साल है. 2013 में मोदी लहर के चलते बीजेपी ने 200 में से 163 विधानसभा सीटों पर जीत हासिल कर सभी रिकॉर्ड तोड़ दिए थे. इसी लहर पर सवार पार्टी ने 2018 के लिए 180 सीटों का टारगेट तय कर लिया लेकिन पहले ही अंदरूनी खींचतान में उलझी सरकार के लिए हालात अब उतने सरल नहीं लग रहे हैं.

स्थिति अब सामाजिक संघर्ष की और बढ़ती सी लग रही है जहां पारंपरिक रूप से दो विरोधी जातीय समूह यानी जाट और राजपूत एक बार फिर आमने सामने हैं. आनंदपाल की मौत के बाद कथित रूप से नागौर के जाट बहुल कई गावों में जश्न मनाया गया. राजपूत करणी सेना के नेता लोकेंद्र सिंह कालवी का आरोप है कि वसुंधरा सरकार ने वर्ग विशेष को खुश करने के लिए एपी का एनकाउंटर करवाया है.
नागौर के खींवसर से विधायक हनुमान बेनीवाल पहले ही वसुंधरा सरकार के खिलाफ खम ठोके हुए हैं. 1999 में अटल सरकार के जाटों को आरक्षण दिए जाने से पहले तक जाट कांग्रेस का वोट बैंक समझा जाता था. ऐसे में बेनीवाल को युवा जाटों का समर्थन और राजपूतों के छिटकने का डर अब बीजेपी को सताने लगा है.
आनंदपाल सिंह के राज्य सरकार के मंत्रियों से संबंध बताए जा रहे हैं
आनंदपाल सिंह के राज्य सरकार के मंत्रियों से संबंध बताए जा रहे हैं


वसुंधरा का आत्मघाती गोल

Anandpal singh
एपी का एनकाउंटर मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के लिए भी आत्मघाती गोल साबित हो सकता है. पिछले कुछ समय से राज्य में नेतृत्व परिवर्तन की खबरें रह रह कर उठती रही हैं. हालांकि वसुंधरा हर बार मजबूत विकल्प के अभाव में कुर्सी बचा पाने में कामयाब रही हैं लेकिन इस बार हालात यहां भी सामान्य नहीं लग रहे हैं.
खुद गृह मंत्री गुलाब चंद कटारिया ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में नाराजगी भरे शब्दों में ये स्वीकार किया था कि आनंदपाल की मौत की सूचना उन्हें मुख्यमंत्री ने दी न कि उनके मातहत पुलिस अधिकारियों ने. ऐसे में गृह मंत्री की नाराजगी, कटघरे में चार मंत्रियों की मौजूदगी, ब्राह्मण और जाट विधायकों के साथ ही राजपूत समाज के जबरदस्त विरोध को देखते हुए राजस्थान के राजनीतिक गलियारों में संभावनाओं और आशंकाओं के बादल मंडराने लगे हैं.
तो अब सवाल यह है कि क्या एपी के एनकाउंटर ने अमित शाह के दखल देने लायक पर्याप्त जमीन तैयार कर दी है?


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