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यह लेख आपको सोचने पर मजबूर करेगा

यह लेख आपको सोचने पर मजबूर करेगा

सीकर थानाधिकारी श्री महावीर सिंह राठौड़ का यह लेख आपको सोचने पर मजबूर करेगा
मेरे विचार जरा हट कर है.

पहली बात तो मै लौकतंत्र मे किसी भी प्रकार के हिंसात्मक आंदोलन का समर्थन नही करता.

दूसरी बात मैं संकुचित,दुराग्रही व दुर्भावनायुक्त जातिवाद का कदापि समर्थक नही हूं.

यह लेख आपको सोचने पर मजबूर करेगा
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अब रही बात बोलीवुड के भंसाली द्वारा निर्मित महारानी पद्मावती पर बनी फिल्म पद्मावत की. दोस्तो इस फिल्म मे क्या है मुझे नही पता, यह एतिहासिक तथ्यो पर आधारित है या नही, यह भी नही पता ?  पर इस बहाने राजपूत संघठनो द्वारा किये गये विरोध के फलस्वरूप भारतीय समाज व उनके द्वारा स्थापित वर्तमान सिस्टम का स्वरूप भी उजागर हो गया है. साथ ही हिंदूवादी सरकारो व संघठनो का सच भी सामने आ गया.

पर यह सब इतना दुखदायी नही है जितना कि भारतीय समाज की उन कई जातियों कि सोच दुखी करने वाली है, जिनकी सोच व मानसिकता देश के लिए सदियों से मरने मिटने वाली महान लडाका जाति राजपूतों के लिए निकल कर सामने आई है. बडी सोचनीय बात है कि इन हिंदू जातियों मे से किसी भी जाति के लोगो के द्वारा राजपूतो कि भावनाओ का आदर करने कि बजाय उनका उपहास उडाया जा रहा है. ऐसे ऐसे कुतर्क दिये जा रहे है कि जैसे राजपूतो से ज्यादा घटिया कोई दूसरा समाज इस देश मे है ही ही.

ऐसे लोगो के कुतर्को का जवाब नही देना कायरता है व समयानुकूल भी है.

कुछ लोग कह रहे कि यह तो अभिव्यक्ति की आजादी है.

मेरा जवाब:- माना अभिव्यक्ति की आजादी है तो फिर,,,,
गोडसे की पुस्तक "मैने गांधी को क्यों मारा" तसलीमा नसरीन की "लज्जा" सलमान रूश्दी की " सटेनिक वर्सेज"  का प्रकाशन क्यों रोका गया ? यहां तक कि तसलीमा व रूश्दी को देश मे आने से भी रोक दिया गया था ?  "मी ऩाथूराम गोडसे बोलतोय" नाटक को व आंधी जैसी अनेक फ़िल्मों पर प्रतिबंधित क्यों लगाया गया था  ?
दोगली व्यवस्था दोगला समाज.

कुछ लोग कह रहे कि राजपूत कायर थे तब ही तो उनकी औरतो ने जौहर किया.

मेरा जवाब:- माना राजपूत कायर थे, पर जब देश पर हमले हुए तब तुम्हारे पूर्वज क्या चने बैच रहे थे ? दोस्तो इतिहात शक्तिशालियों का लिखा जाता है, कायरो का नही. आम आदमी की बहिन बेटियो के साथ मध्यकाल मे क्या हुआ होगा, अकल्पनीय है. अब उनका इतिहास कहां से लाए ? नही तो हम भी बताते कि आम भारतीयो की लाखो बेटियां कैसे अरब व ईरान पंहुच गई थी ? कुंठित दोस्तो, जरा इतिहास दुर्भावना के चश्मे को हटा कर पढना, पता चलेगा कि जिस  समय पुरी दुनियां इस्लाम कि आँधी के आगे नतमस्तक थी. उस समय करीब साढे सात सौ साल तक उन  आक्रमणकारियों को आज के बलूचिस्तान से परे रोकने वाले सिर्फ राजपूत योद्धा ही थे. जो आज बाते बधार रहे उनके पूर्वज यानि कि इस देश की 90 प्रतिशत जनता तो सिर्फ तमाशबीन थी.

कुछ लोग कह रहे कि पद्मिनी की आत्महत्या तो वीरता है  और फूलन देवी की वीरता कायरता कैसे हुई ?

मेरा जवाब:- पहली बात तो यह आपका फर्स्टेशन है.  पद्मिनी कोई डकैत नही थी.  कडवी सच्चाई है कि फूलन देवी ने अपनी हवस मिटाने के लिए गांव के सारे युवा वर्ग को खराब कर दिया था पर बाद मे उसके साथ जो हुआ निंदनीय है. जिसका बदला उसने डकैत बन कर लिया और वह भी बेहमई गांव के निर्दोष व निरपराध बाईस महिलाओ व बच्चो को मारकर. वास्तविक गुनहगारो का तो वह बाद मे भी कुछ नही बिगाड पाई थी. फूलनदेवी का दस्यू जीवन भी किसी से छिपा नही है. वह कभी किसी डकैत के साथ सोई तो कभी किसी के साथ सोई. ऐसी हवस की महानायिका की तुलना सतित्व की पराकाष्ठा पद्मिनी से करने वालो कि विकृत सोच पर दया आती है. पद्मिनी ने अपने पति राणा रतन सिंह को रणसन्मुख कर अपने सतित्व व धर्म की रक्षा में हंसते हंसते अग्नी स्नान किया था. फूलन देवी की तरह नित नये पति नही बदले थे.

कुछ लोग तो हद हि कर रहे है पद्मिनी की तुलना वेमुला से कर रहे है.
मेरा जवाब:- ऐसे लोग पद्मिनी के त्याग को रंज मात्र भी नही समझ सकते. ऐसे लोगे को देश के लिए मरने मे  और खुद के लिए मरने का फर्क ही पता नही है. कल ये लोग कहेगे की चाईना से लडाई मे जब देश की सरकार ने मेजर शैतान सिंह को कह दिया था कि हम व हमारी सरकार आपकी कोई मदद नही कर सकती. आप वापिस पीछे आ जाओ तब मेजर शेतान सिंह ने कहा कि राजपूत कभी पीछे पैर नही रखते और मेजर साहब व उनकी कम्पनी हंसते हंसते देश हित मे शहीद हो गये थे. कल हीनभावना से ग्रस्त ऐसे लोग क्या मेजर साहब की शहादत को भी अात्महत्या कहेंगे. क्योकिं ये तो क्या इनकी सात पुस्ते भी ऐसा कर्म नही कर सकती. ये तो बस मेजर साहब की तुलना वेमूला से ही कर सकते है.

और अंत मे उन लोगो को जवाब जो कह रहे है कि राजपूत फिल्म  पद्मिनी के लिए हल्ला कर रहे है वे कभी महिलाओ के लिए तो ऐसी नही करते.

मेरा जवाब :- पहली बात तो यह है कि राजपूत तो ऐसा नही करते पर आप सब भी तो इसी देश मे रहते हो. आप का क्या रोल है, अपने आप से सवाल करना ?
रही बात बलात्कारो की तो सुनना कान खोल कर फिर विचार करना. राजपूत काल मे महिलाओ के साथ जो गलत होता था वह करने वाले बाहरी आक्रमणकारी होते थे. पर आज हमारी बहिनो के साथ बलात्कार करने वाले भारतीय ही है. अफगानिस्तान से नही आते. लानत है.

राजपूतो मे कमियां निकालने वाले जरा अपने गिरेबान मे भी झांकले कि देश के दुश्मनो से लडने मे व महिलाओ के हित मे मरने मे उनके पूर्वज कहां दुबक कर बैठे थे. राजपूतो मे हजार कमियां होगी व कई युद्ध भी हारे होगे पर खूबियां भी इतनी है कि गिन नही सकते. युद्ध हारे तो जीते भी बहुत है. नही तो गोरी के हमले से सैकंडौ साल पहले ही तुम्हारे पूर्वजो के खतने हो जाते.

इस देश के लोग एक पद्मिनी पर फिल्म बना कर राजपूतो के मनोबल को नही गिरा सकते, क्योकि फिल्मे तो आप  1947 के बाद से ही लगातार बना रहे है. राजपूत सानंतवादी है, बलात्कारी है गद्दार है. पर चिंता मत करो हम जैसे भी है देश की सीमा पर पहले भी सबसे आगे थे और भविष्य मे भी सबसे आगे रहेगें.
यायावर

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