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हमने संघ बनाया और एकजुटता अन्य जातियां दिखा रही है। क्यों?

हमने संघ बनाया और एकजुटता अन्य जातियां दिखा रही है। क्यों?

जय क्षात्र धर्म

हमने संघ बनाया और एकजुटता अन्य जातियां दिखा रही है।
हमने शिविर लगाए और प्रशिक्षण अन्य लोग ले रहें हैं।
अब तो चुप्पी ही ठीक है  ।
समझदारों को समझाना नासमझ है।
महाभारत का बंटवारा अभी तक भी नहीं हुआ है। आज तक भी पांडवों को हराने कौरव एकजुट हो जातें हैं।
पिंट्या पीने तक की औकात रह गयी है राजपूतों की।
अन्य जातियों का सोफ्टवेयर लोकतन्त्र को काफी समझ चुका है।
हम तो आज भी राजतंत्र में जी रहें हैं।और राजतंत्र में हमेशा अपने भाईयों को ही सताया गया है ,मारा गया है।
आज दूसरी जातियों के चरण छू कर अपनी जाति में बड़े बनने का स्वाद आ गया है। भाई आगे नहीं बढ़ना चाहिए ।अन्य जातियां चाहे आपके संसाधनों का उपयोग करके आपसे आगे बढ़े वो मंजूर है लेकिन भाई आगे नहीं बढ़ना चाहिए।
लगे रहो कभी तो समझ आ ही जाएगी।
ईन मीन साढ़े तीन सदस्य पंहुचते हैं संसद में और यही औकात बताते हैं अन्य राजनेता।
राजपूताना के नाम से जाना जाने वाला सबसे बड़ा प्रदेश राजस्थान जिसमें मात्र साढ़े तीन राजपूत सांसद।
विधानसभा में भी यही स्थिति है। 
क्यों?
क्योंकि हम अपने संसाधनों का उपयोग दूसरों के लिए उपलब्ध करा रहें हैं। अपने लोगों को जानबूझकर गिरा रहें हैं ताकि एक को गिराकर दूसरा ऊपर दिख सके।
यह पीढ़ियों की परम्परा है आखिरी विनाश तक जारी रहेगी शायद!

"आज तुम आसमान में हो धरा छोड़कर।
मन के गुमान हो राह का रूख मोड़कर।।
देखना सुबह की शाम भी जरूर होती है।
एक दिन मैं देखुंगा तुम्हें यूं मरा छोड़कर।।"

जय क्षात्र धर्म🚩
संघै शक्ति युगे युगे 🚩
🚩🌞🌞🙏🌞🌞🚩

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