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"वक्त बदला है रक्त नहीं"

एक इतिहासकार ने राजनीतिक मायने बताए कि आनन्दपाल एनकाउंटर मामले में जो आंदोलन चला और सफलता पाई, वो कुछ युवा नेताओं के दम पर हुआ। सरकार और सरकार के राजपूत मंत्रियों व विधायकों को डर है कि समाज में अब एक नया नेतृत्व उभरा है, जिन्होंने समाज के मंत्रियों, विधायकों की सहायता के बिना ना केवल आंदोलन चलाया और सरकार से मांगे मनवाकर सफल भी करवाया। राजपूत समाज में इन युवा राजपूत नेताओं (सुखदेव सिंह गोगामेडी, दुर्ग सिंह चौहान खींवसर, महावीर सिंह सरवड़ी, महावीर सिंह खांगटा, महिपाल सिंह मकराना, भंवर सिंह रेटा, पूर्व विधायक राजेन्द्र गुढ़ा, मनोज न्यांगली आदि नेता) की स्वीकार्यता बढ़ी है और समाज ने उनके नेतृत्व को एक तरह से स्वीकारा भी है।

राजपूत मंत्री और विधायक

जिस किसी राजपूत मंत्री और विधायक ने इस आंदोलन व आंदोलन नेताओं के खिलाफ बोला, राजपूत समाज ने एक तरह से बहिष्कृत कर दिया और उसके खिलाफ किसी भी हद तक जाने से गुरेज भी नहीं किया। एक तरह से सरकार के राजपूत मंत्रियों और विधायकों के हाथ से यह आंदोलन निकल गया और ना ही समाज ने उन पर विश्वास जताया। अब राजपूत समाज का नेतृत्व नए हाथों में चला गया है। एक तरह से नया मोर्चा खुल गया है समाज में, युवा नेताओं का। इसका डर कददावर नेताओं को सता रहा है।

    जन-संघर्ष और जनविरोध के सामने घुटने टेके सरकार ने ,सीबीआई जांच स्वीकार करके सरकार ने माना आनंदपाल एनकाउंटर और सांवराद में पुलिस ने गलत चलाई गोलियां |

●प्रदेश के जेलों में बंद सभी युवाओं को रिहा कर सभी मुकदमे वापिस ले सरकार,भाजपा सरकार संवेदनशील होती तो प्रदेश में जनहानि नही होती |

●जनता सरकार से यह मांग करती है कि आनंदपाल एनकाउंटर प्रकरण में राज्य सरकार ईमानदारी से सीबीआई जांच के लिए केंद्र पर दबाव बनाए क्योंकि पहले भी राज्य सरकार ने जैसलमेर के चतुर सिंह हत्याकांड में सीबीआई को जांच की अनुशंषा की थी,लेकिन सीबीआई ने जांच करने से मना कर दिया था |

●समझौते के अनुसार सरकार को तुरंत प्रभाव से उन सभी युवाओं को रिहा करना चाहिए जो आनंदपाल एनकाउंटर की सीबीआई की जांच की मांग को लेकर आंदोलन कर रहे थे,इस समय सैकड़ो नौजवान जेलों में बंद पड़े है|

●सांवराद में बेवज़ह बहुत बड़ी तादाद में पुलिस लगाई हुई है ,उसे भी तुरतं हटा लेना चाहिए |

-प्रताप सिंह खाचरियावास

राजपूत समाज


1. सरकार व राजपूत समाज के बीच सी बी आई जांच को लेकर सहमति बनी। सरकार सी बी आई जांच की सिफारिश करेगी लेकिन करवायेगी नहीं।

2. आंदोलन के दौरान दर्ज केसों में सरकार द्वेष्टापूर्ण कार्यवाही नहीं करेगी।इससे राजपूतों को क्या लाभ हुआ। मुकदमें तो वापस हुये नहीं।द्वेषतापूर्ण कोई कार्येवाहीँ की संविधान में कोई धारा ही नहीं है ।

 3. आनन्दपाल की बेटी चीनू भारत आये तो राज्य सरकार कोई कठिनाई प्रस्तुत नहीं करेगी। इसमें कौनसी धारा कम हुई या हटाई गई।

 4. श्रवनसिह से नजर बन्दी हटाई। परिवार का सदस्य मकान को संभाल सकता है। इसमें कौन सी धारा हटाई। जिसके मकान है उसे कोई संभालेगा ही लेकिन श्रवनसिह को क्या राहत मिली।

5. कमांडो सोहनसिंह से परिजनों को मिलाने में सरकार सहयोग करेगी। ओ हो राजपूतों को बहुत बड़ी राहत दे दी। परिवार के सदस्यों को मिलने के लिये भी अब सरकार से वार्ता की नोबत आ गई। कौनसी धारा हटाई है।

 6. आनन्दपाल के परिजनों द्वारा आवेदन करने के 24 घण्टे के भीतर प्रथम पोस्टमार्टम रिपोर्ट उपलब्ध करवा दी जायेगी। लो इससे बड़ी राजपूत समाज की उपलब्धि क्या होगी। 24 घण्टे में रिपोर्ट वाह भाई मान गये जैसे इससे पहले किसी को पोस्टमार्टम रिपोर्ट मिली ही नहीं हो। सरकार क्या देगी पोस्टमार्टम रिपोर्ट तो कोर्ट मंगवा लेगा।

 7. जनआंदोलन के दौरान हिंसा में घायल एंव मृतकों के परिजनों को नियमानुसार मुआवजा। नियमानुसार तो सभी को मिलता है। समझौते में क्या लिया। 

 8. साथियों आजादी के बाद ऐसा समझौता हमने आज तक नहीं देखा जिसमें सरकार ने पीड़ित पक्ष की एक भी मांग को बिना मांगे समझौते की घोषणा कर दी।

 9. प्रदेश की आम जनता को इस समझौते से राहत जरूर मिलेगी लेकिन राजपूतों को कोई लाभ नहीं होता नजर आ रहा है।

राजपूत समाज

हम केवल यहाँ सरकार के एक पक्ष को टारगेट बनाकर तानाशाही दमनात्मक रवैये का विरोध दर्ज करा रहे,
जो कतई भी गलत नहीं है..

इसमे कौम विभाजित हो ऐसे प्रयास भी कल के एक सरकारी नुमाइंदो (भाजपा विधायकों/मंत्रियों) का विडियो वाइरल किया गया,

उस सुनियोजित षड़यंत्र पर भी चर्चा की जा रही है, जिससे कौम के युवा समझ जाए,
और फूट डालने के वसुंधरा राजे सरकार के प्रयास विफल हो जाए...

हम लोगों को बिना वजह दोगली सरकार की भूरी भूरी प्रशंसा करना भी नहीं आता है,
और ना ही हम लोग ऐसा करेंगे...

कौम के एक युवा नेतृत्व साथ तानाशाह सरकार की यह बदमाशी गलत है,

आनंदपाल आंदोलन
चुतर सिंह CBI जांच हो गयी क्या??
मुकदमे पहले वापस हो युवाओ के कैरियर का सवाल है।
वर्ना नेता शाबासी ले लेंगे युवा ठगा रह जायेगा।

BJP का विरोध
किसी एक दूसरे पर आरोप नही लगाए ।
संघर्ष समिति में सभी संघ, सेना और संगठनो के प्रतिनिधि मौजूद थे ।
कृपया समाज को एक होने दो बांटने की कोशिश मत करो ।
सरकार ने सीबीआई जांच का कहा है तो देनी ही होगी ।। दो दिन का इंतजार ही सही ।
ओर इस BJP का विरोध तो जारी रहेगा राजस्थान में ।
जय माता जी ।

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