तानाशाही सरकार
दरबारी मीडिया और झूठी पुलिस
तानाशाही सरकार, दरबारी मीडिया और झूठी पुलिस
"तानाशाही सरकार, दरबारी मीडिया और झूठी पुलिस"
तानाशाही सरकार, दरबारी मीडिया और झूठी पुलिस |
सुरेन्द्र सिंह की आत्मा को शान्ति मिले दुःख की इस घड़ी में समाज परिवार के साथ पूरी मजबूती के साथ खड़ा हैं.
तानाशाही सरकार, दरबारी मीडिया और झूठी पुलिस |
ख़ुद सरकार के मंत्रियों ने,पुलिस अधिकारियों ने अपने उल जुलूल बयानों से इस मामले को इतना बिगाड़ दिया है।इतना प्रशिक्षित पुलिस महकमा आख़िर इतनी सामान्य ग़लतियाँ कैसे कर रहा है ? वो भी बार बार। कभी १२ को १२००० ,कभी सुरेन्द्र सिंह को लालचंद शर्मा,कभी शीशे में गोली...ये सब क्या है ?
और दरबारी मीडिया के तो कहने ही क्या ? इस कथित लालचंद को साँवराद में चाय बेचने वाला बता दिया था,हद है भई हद है।
उपरोक्त लोगों ने मिलकर ही ये शक पैदा किया है कि कही न कही गड़बड़ ज़रूर है।
पुलिस की गोली से मारे गए सुरेंद्रसिंह राठौड़ जिसे पुलिस ने न जाने किस साज़िश के तहत लालचंद शर्मा बताया था उसके लिए #दानवाधिकार आयोग कोई नोटिस देगा ??
या यहाँ भी लाश से संक्रमण का ख़तरा है जिस से प्रदेश में महामारी फैल सकती है।
या ये #दानवाधिकार आयोग सिर्फ़ आतंक फैलाने वालों को १० लाख का मुआवज़ा देने के लिए ही बना है।या फिर ये आयोग सुरेंद्र सिंह को भी मुआवज़े के लिए सरकार से कहेगा।
अरे #दानवाधिकार आयोग वाली जब आतंकवादी की लाश को भी उसके वारिशान को सौंपा जाता है तो यहाँ सभी रिश्तेदारों को क़ैद करके लावारिश की तरह नगरपालिका कर्मचारियों द्वारा यू शव को क्यूँ बेइज़्ज़त किया गया। क्या लाश का कोई मानवाधिकार नहीं होता ??
बड़ी भारी दिक़्क़त हो गयी है, एक झूठ को छिपाने के चक्कर में सारी सरकार और प्रशासन चक्करघिन्नी हो गए है।सब मिलके एक राय होकर झूठ भी ढंग से नहीं बोल पा रहे है।अब उगलते बन रहा है न निगलते।
Surendra Singh |
निवासी- मालासार(चुरू)
जो कि अपने गाँव मे सबसे कहता था कि आनन्दपाल सिंह का फर्जी एंकाउटर हुआ है ओर वो स्वयं इसका चश्मदीन गवाह है ओर उसके पास पुख्ता सबुत भी है इस सारे प्रकरण की खबर सरकार को लग गई
फीर उसके बाद प्रशासन द्वारा सुरेन्द्र सिंह को मालासर से जबरन उठाकर गुप्त जगह ले जाकर एक बार फिर फर्जी एंकाउटर किया गया
उसके पश्चताप उसके शव को सांवराद मे डालकर पुलिस फायरिंग मे घायल होने कि एक मनघड़ंग कहानी बनाई गई
ओर कितने नाटक बनाओगे |
0 Comments:
It is our hope that by providing a stage for cultural, social, and professional interaction, we will help bridge a perceived gap between our native land and our new homelands. We also hope that this interaction within the community will allow us to come together as a group, and subsequently, contribute positively to the world around us.