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तानाशाही सरकार, दरबारी मीडिया और झूठी पुलिस

तानाशाही सरकार, दरबारी मीडिया और झूठी पुलिस

"तानाशाही सरकार, दरबारी मीडिया और झूठी पुलिस"



तानाशाही सरकार, दरबारी मीडिया और झूठी पुलिस

5 दिन से मृतक की पहचान को झूठा बताया गया.।अब जाकर पता चला की मृतक उसी गाँव का हैं जहाँ एनकाउंटर हुआ था. मालासर निवासी सुरेन्द्र सिंह की हत्या किसी गहरी साजिश की और इशारा करती हैं. 5 दिन से पुलिस मृतक को रोहतक निवासी लालचन्द पुत्र मूलचन्द शर्मा बता रही थी. पुलिस पूरी तरह पुख्ता रूप में यह नाम लिख रही थी. उन्होंने यह पहचान उसी तरह के तर्क के साथ रखी जिस तरह अंधेरे में आईने में लोकेशन देख कर रखी थी. दरबारी मीडिया ने दरबार की पूरी चरणवन्दना की एक गाँव के रेलवे स्टेशन पर मृतक को चाय के दूकान लगाने वाला बताया. पत्रकार और अखबार की बुद्धि को सलाम पास के बड़े स्टेशन लाङनु और डीडवाना तक में चाय की दूकान पूरे समय खुली नहीं मिलती एक गाँव में जहां 2 से 4 ट्रेन रूकती हो वहां चाय की दूकान बता दी. चापलूसी मीडिया ने सच का गला घोंट दिया. मृतक को शर्मा बताने के कारण ब्राह्मण संगठनो में भी रोष था. पुलिस ने ना तो मृतक के घरवालो को ढूंढने का कोई प्रयास किया ना ही सरकार ने कोई खेद व्यक्त किया. जबकि राजपूत और ब्राह्मण समाज के कई लोगो ने लालचन्द नाम से उसके परिजनों को ढूंढने का प्रयास किया. मृतक का नाम गलत बताकर पुलिस ने सही परिजनों को धोखे में रखा. जिससे उन्होंने यही समझा की वो कोई लालचंद हैं. आंदोलन में उसी गाँव के युवक का मारा जाना जहां एनकाउंटर हुआ था किसी गहरी साजिश की ओर इशारा करती हैं और उस पर प्रशासन में धारा 144 लगा दी..
सुरेन्द्र सिंह की आत्मा को शान्ति मिले दुःख की इस घड़ी में समाज परिवार के साथ पूरी मजबूती के साथ खड़ा हैं.



तानाशाही सरकार, दरबारी मीडिया और झूठी पुलिस


ख़ुद सरकार के मंत्रियों ने,पुलिस अधिकारियों ने अपने उल जुलूल बयानों से इस मामले को इतना बिगाड़ दिया है।इतना प्रशिक्षित पुलिस महकमा आख़िर इतनी सामान्य ग़लतियाँ कैसे कर रहा है ? वो भी बार बार। कभी १२ को १२००० ,कभी सुरेन्द्र सिंह को लालचंद शर्मा,कभी शीशे में गोली...ये सब क्या है ?
और दरबारी मीडिया के तो कहने ही क्या ? इस कथित लालचंद को साँवराद में चाय बेचने वाला बता दिया था,हद है भई हद है।
उपरोक्त लोगों ने मिलकर ही ये शक पैदा किया है कि कही न कही गड़बड़ ज़रूर है।

पुलिस की गोली से मारे गए सुरेंद्रसिंह राठौड़ जिसे पुलिस ने न जाने किस साज़िश के तहत लालचंद शर्मा बताया था उसके लिए #दानवाधिकार आयोग कोई नोटिस देगा ??
या यहाँ भी लाश से संक्रमण का ख़तरा है जिस से प्रदेश में महामारी फैल सकती है।
या ये #दानवाधिकार आयोग सिर्फ़ आतंक फैलाने वालों को १० लाख का मुआवज़ा देने के लिए ही बना है।या फिर ये आयोग सुरेंद्र सिंह को भी मुआवज़े के लिए सरकार से कहेगा।
अरे #दानवाधिकार आयोग वाली जब आतंकवादी की लाश को भी उसके वारिशान को सौंपा जाता है तो यहाँ सभी रिश्तेदारों को क़ैद करके लावारिश की तरह नगरपालिका कर्मचारियों द्वारा यू शव को क्यूँ बेइज़्ज़त किया गया। क्या लाश का कोई मानवाधिकार नहीं होता ??
बड़ी भारी दिक़्क़त हो गयी है, एक झूठ को छिपाने के चक्कर में सारी सरकार और प्रशासन चक्करघिन्नी हो गए है।सब मिलके एक राय होकर झूठ भी ढंग से नहीं बोल पा रहे है।अब उगलते बन रहा है न निगलते।



Surendra Singh
सुरेन्द्र सिंह राठोड़
निवासी- मालासार(चुरू)
जो कि अपने गाँव मे सबसे कहता था कि आनन्दपाल सिंह का फर्जी एंकाउटर हुआ है ओर वो स्वयं इसका चश्मदीन गवाह है ओर उसके पास पुख्ता सबुत भी है इस सारे प्रकरण की खबर सरकार को लग गई
फीर उसके बाद प्रशासन द्वारा सुरेन्द्र सिंह को मालासर से जबरन उठाकर गुप्त जगह ले जाकर एक बार फिर फर्जी एंकाउटर किया गया
उसके पश्चताप उसके शव को सांवराद मे डालकर पुलिस फायरिंग मे घायल होने कि एक मनघड़ंग कहानी बनाई गई
ओर कितने नाटक बनाओगे |

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