राजपूताना हींदु नारी के बलीदान की गाथा
राजपूताना हींदु नारी के बलीदान की गाथा
राजपूताना हींदु नारी के बलीदान की गाथा है ये जौहर ....
ये चित्र 'जौहरकुण्ड' का
है....॥ 'जौहर'
एक ऐसा शब्द
है, जिसे सुनकर
हमारी 'रुह कांप'
जाती है, परन्तु
उसके साथ ही
साथ यह शब्द
राजस्थानी क्षत्राणियोँ के अभूतपूर्व
'बलिदान' का स्मरण
कराता हैँ! जो
जौहर शब्द के
अर्थ से अनभिज्ञ
हैँ! उन्हेँ मेँ
बताना चाहुँगा....॥
जब किसी राजस्थानी
राजा के राज्य
पर मुस्लिम आक्रमणकारीयोँ
का आक्रमण होता
तो युध्द मेँ
जीत की कोई
संम्भावना ना देखकर
राजस्थानी क्षत्रिय और क्षत्राणी
आत्म समर्पण करने
के बजाय लड़कर
मरना अपना धर्म
समझते थे! क्योकिँ
कहा जाता है
ना "वीर अपनी
मृत्यु स्वयं चुनते है!"
इसिलिए राजस्थानी वीर और
वीरांगनाए भी आत्मसमर्पण
के बजाय साका
(साका= केसरिया+जौहर) का
मार्ग अपनाते थे!
पुरुष (क्षत्रिय) 'केसरिया' वस्त्र
धारणा कर प्राणोँ
का उत्सर्ग करने
हेतु 'रण भूमि'
मेँ उतर जाते
थे! और राजमहल
की महिलाएँ (क्षत्रणियाँ)
अपनी 'सतीत्व की
रक्षा' हेतु अपनी
जीवन लीला समाप्त
करने हेतु जौहर
कर लेती थी!
महिलाँए एसा इसलिए
करती थी क्योँकि
मुस्लिम आक्रमणकारी युध्द मेँ
विजय के पश्चात
महिलाओँ के साथ
बलात्कार करते थे!
अत: क्षत्राणी विरांगनाएँ
अपनी अस्मिता व
गौरव की रक्षा
हेतु जौहर का
मार्ग अपनाती थी!
जिसमेँ वे जौहर
कुण्ड मेँ अग्नि
प्रज्जवलित कर धधकती
अग्नि कुण्ड मेँ
कुद कर अपने
प्रणोँ की आहुती
दे देती थी!!
जौहर के मार्ग
को एक क्षत्राणी
अपना गौरव व
अपना अधिकार मानती
थी! और यह
मार्ग उनके लिए
स्वाधिनता व आत्मसम्मान
का प्रतिक था!
ये जौहर कुण्ड
एसी ही हजारोँ
वीरांगनाओ के बलिदान
का साक्ष्य हैँ!
नमन हे एसी
क्षत्राणी विरांगनाओँ को...और
गर्व है हमेँ
हमारे गौरवपूर्ण इतिहास
पर......गर्व से
कहो हम हिन्दु
है...॥ जय
जय राजस्थान...॥
जय माँ भारती!!
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