बाहूबली फिल्म में क्षत्रिय राजपूतों और हूणों का युद्ध
A ROYAL RAJPUT HERO FIGHTING FOR ALL INDIAN HINDUS
बाहूबली फिल्म में क्षत्रिय राजपूतों और हूणों का युद्ध
अब तक की
सबसे शानदार मूवी
बाहुबली------------
राजपूतों और हूणों का युद्ध |
जय राजपुताना
महिष्मति के हैहय वंशी (कलचुरि) क्षत्रिय राजपूतों की गौरवगाथा। ………
राजपुताने के एक
छोटी सी महिष्मती रियासत कि कहानी
पर बनी फिल्म
बाहुबली ने तीन
दिन में कमाए
165 करोड़, फिल्म 500 करोड़ का
क्लब खोलेगी!
बाहुबली की सुनामी
में बॉक्स आफिस
के सारे रिकार्ड
तबाह होते हुए
दिख रहे हैं।
ये तो सिर्फ
कहानी पर बनी
फिल्म का बाहुबल है
अब सोचो वो
राजपुताना कितना बाहुबली होगा
जिसकि ये कहानी
है.......................................
महिष्मति के हैहय वंशी (कलचुरि) क्षत्रिय राजपूतों की गौरवगाथा। ………
आज भी हैहयवंशी
राजपूत यूपी के
बलिया जिले में,बिहार तथा आंध्र
प्रदेश में मिलते
हैं,और इनकी
शाखा कलचुरी राजपूत
गोरखपुर,ईस्ट यूपी,
बिहार,रीवा,छत्तीसगढ़
मध्य प्रदेश,दक्षिण
भारत में मिलती
है।भगवान राम और
पृथ्वीराज चौहान के मामा
भी हैहय वंशी
क्षत्रिय थे.…
रावण को हराकर
बंदी बनाने वाले
सहस्त्रार्जुन भी हैहयवंशी
थे,जिन्होंने अपनी
भुजाओं से नर्मदा
का बहाव रोक
दिया था.…………………
इस वंश के
राजा कर्ण कलचुरि
ने आक्रमणकारी हूणों
को कुचलकर भगा
दिया था,
हूण सम्राट मिहिरकुल को
हराकर भगाने वाले
यशोधर्मा भी इसी
कुल के थे....................
इस मूवी में
क्षत्रिय राजपूतों और हूणों
का युद्ध दिखाया
गया है
#बाहूबली फिल्म मे
जिस #महिष्मति
रियासत की बात
हुई है उस
पर #हैहयवंश
के कलचुरी क्षत्रिय
राजपूतों का राज
था-!!
चेदि जनपद की
राजधानी 'माहिष्मति', जो नर्मदा
के तट पर
स्थित थी, इसका
अभिज्ञान ज़िला इंदौर, मध्य
प्रदेश में स्थित
'महेश्वर' नामक स्थान
से किया गया
है, जो पश्चिम
रेलवे के अजमेर-खंडवा मार्ग पर
बड़वाहा स्टेशन से 35 मील
दूर है। महाभारत
के समय यहाँ
राजा नील का
राज्य था, जिसे
सहदेव ने युद्ध
में परास्त किया
था
'ततो रत्नान्युपादाय पुरीं माहिष्मतीं ययौ।
तत्र नीलेन राज्ञा
स चक्रे युद्धं
नरर्षभ:।'
बाहूबली फिल्म में क्षत्रिय राजपूतों और हूणों का युद्ध |
राजा नील महाभारत
के युद्ध में
कौरवों की ओर
से लड़ता हुआ
मारा गया था।
बौद्ध साहित्य में
माहिष्मति को दक्षिण
अवंति जनपद का
मुख्य नगर बताया
गया है। बुद्ध
काल में यह
नगरी समृद्धिशाली थी
तथा व्यापारिक केंद्र
के रूप में
विख्यात थी। तत्पश्चात
उज्जयिनी की प्रतिष्ठा
बढ़ने के साथ-साथ इस
नगरी का गौरव
कम होता गया।
फिर भी गुप्त
काल में 5वीं
शती तक माहिष्मति
का बराबर उल्लेख
मिलता है। कालिदास
ने 'रघुवंश' में
इंदुमती के स्वयंवर
के प्रसंग में
नर्मदा तट पर
स्थित माहिष्मति का
वर्णन किया है
और यहाँ के
राजा का नाम
'प्रतीप' बताया है-
'अस्यांकलक्ष्मीभवदीर्घबाहो
माहिष्मतीवप्रनितंबकांचीम् प्रासाद-जालैर्जलवेणि रम्यां
रेवा यदि प्रेक्षितुमस्तिकाम:।'
इस उल्लेख में माहिष्मती
नगरी के परकोटे
के नीचे कांची
या मेखला की
भाति सुशोभित नर्मदा
का सुंदर वर्णन
है।
कालिदास का उल्लेख
माहिष्मति नरेश को
कालिदास ने अनूपराज
भी कहा है]
जिससे ज्ञात होता
है कि कालिदास
के समय में
माहिष्मति का प्रदेश
नर्मदा नदीके तट के
निकट होने के
कारण अनूप कहलाता
था। पौराणिक कथाओं
में माहिष्मति को
हैहय वंशीय कार्तवीर्य
अर्जुन अथवा सहस्त्रबाहु
की राजधानी बताया
गया है। किंवदंती
है कि इसने
अपनी सहस्त्र भुजाओं
से नर्मदा का
प्रवाह रोक दिया
था।
वास्तुकला
महेश्वर में इंदौर
की महारानी अहिल्याबाई
ने नर्मदा के
उत्तरी तट पर
अनेक घाट बनवाए
थे, जो आज
भी वर्तमान हैं।
यह धर्मप्राणरानी 1767 के
पश्चात इंदौर छोड़कर प्राय:
इसी पवित्र स्थल
पर रहने लगी
थीं। नर्मदा के
तट पर अहिल्याबाई
तथा होल्कर वंश
के नरेशों की
कई छतरियां बनी
हैं। ये वास्तुकला
की दृष्टि से
प्राचीन हिन्दू मंदिरों के
स्थापत्य की अनुकृति
हैं। भूतपूर्व इंदौर
रियासत की आद्य
राजधानी यहीं थी।
एक पौराणिक अनुश्रुति
में कहा गया
है कि माहिष्मति
का बसाने वाला
'महिष्मानस' नामक चंद्रवंशी
नरेश था। सहस्त्रबाहु
इन्हीं के वंश
में हुआ था।
महेश्वरी नामक नदी
जो माहिष्मति अथवा
महिष्मान के नाम
पर प्रसिद्ध है,
महेश्वर से कुछ
ही दूर पर
नर्मदा में मिलती
है। हरिवंश पुराण
की टीका में
नीलकंठ ने माहिष्मति
की स्थिति विंध्य
और ऋक्ष पर्वतों
के बीच में
विंध्य के उत्तर
में और ऋक्ष
के दक्षिण में
बताई है।
राजपूत अलग ह ओर कलचूरी अलग है
जवाब देंहटाएं