राजपूत
वंश के गोत्र प्रवरादि आदि के बारे में सामन्य जानकारी।
राजपूत
वंशो के गोत्र प्रवरादि
राजपूत
वंश के गोत्र, शाखा, कुलदेविया
राठोड़ वंश के गोत्र-प्रवरादि
Rathore Rajput |
गोत्र – गोतमस्य
नदी – सरयू
कुण्ड – सूर्य
क्षेत्र – अयोध्या
पुत्र – उषा
पितृ – सोमसायर
गुरु – वशिष्ठ
पुरोहित – सोह्ड़
कुलदेवी – नागनेचिया
नख – दानेसरा
वेद – शुक्ल यजुर्वेद
घोड़ा – दलसिंगार
तलवार – रणथली
माला – रत्न
वंश – इक्ष्वाकु (रघुवंशी)
धर्म – सन्यास
बड़ – अक्षय
गऊ – कपिला
नगारा – रणजीत
निशान – पंचरंगा
ढोल – भंवर
दमामी – देहधङो
भाट – सिंगेल्या
बारहठ – रोहङिया
शिखा – दाहिनी
गादी – लाहोर
चिन्ह – चील
इष्ट – सीताराम
सम्प्रदाय – रामानुज
पोथी -बडवा,रानीमंगा,कुलगुरु
शाखा – साडा तेरह (131/2)
उपाधि – रणबंका, कमध्व्ज
Rathore ka bhat sangely likha hai kya iss ke app ke pass parman hai ( mujhe iss par apti hai)
जवाब देंहटाएंआप ने बहुत ही अच्छी जानकारी उपलब्ध करवाई.अगर आप को समय मिले तो आप Rajput history देखे HKM . जय माता दी.
जवाब देंहटाएंJai rajputana jai rathore
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