एक था आनंदपाल
राजनाथ से मिले आनंदपाल के वकील
CBI जांच की मांग
गृहमंत्री राजनाथ से मिले आनंदपाल के वकील-क्षत्रिय महासभा के पदाधिकारी, CBI जांच की मांग
'एक था आनंदपाल': गृहमंत्री राजनाथ से मिले आनंदपाल के वकील-क्षत्रिय महासभा के पदाधिकारी, CBI जांच की मांग
प्रतिनिधिमंडल के सदस्यों का कहना था कि जिन परिस्थितियों में आनंदपाल का एनकाउंटर हुआ है वो कई तरह के सवाल खड़े कर रहा है, लिहाज़ा इस मामले की निष्पक्ष जांच सीबीआई से करवाई जाए।
राजस्थान के कुख्यात गैंगस्टर आनंदपाल के एनकाउंटर का मामला गर्माता जा रहा है। ये मामला अब दिल्ली तक पहुंच गया है। एक प्रतिनिधिमंडल ने इस एनकाउंटर पर सवाल उठाते हुए केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह से मुलाक़ात की है।
जानकारी के मुताबिक़ आनंदपाल मामले में अदालत में पक्ष रख रहे वकील एपी सिंह मंगलवार सुबह केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह से मुलाक़ात करने दिल्ली पहुंचे। एपी सिंह के साथ कुछ अन्य वकीलों और अखिल भारतीय क्षत्रिय महासभा के पदाधिकारी भी मौजूद रहे।
बताया जा रहा है कि प्रतिनिधिमंडल ने राजनाथ सिंह के समक्ष राजस्थान पुलिस द्वारा किये गए आनंदपाल के एनकाउंटर से जुड़े कई मसलों पर चर्चा की। प्रतिनिधिमंडल ने एनकाउंटर को फ़र्ज़ी करार देते हुए इस पूरे मामले की सीबीआई जांच करवाने की मांग की।
प्रतिनिधिमंडल के सदस्यों का कहना था कि जिन परिस्थितियों में आनंदपाल का एनकाउंटर हुआ है वो कई तरह के सवाल खड़े कर रहा है, लिहाज़ा इस मामले की निष्पक्ष जांच सीबीआई से करवाई जाए। बताया जा रहा है कि गृह मंत्री ने इन मांगों पर विचार करने का आश्वासन दिया है।
'मरने के बाद व्यक्ति का शव पवित्र, अंतिम संस्कार से इंकार उसके साथ अत्याचार'
राजस्थान के गृहमंत्री गुलाबचंद कटारिया ने कहा है कि व्यक्ति के मरने के बाद शव को पवित्र माना जाता है और अंतिम संस्कार से इंकार कर उसके साथ अत्याचार करना है।
उन्होंने पुलिस की बहादुरी की सहराहना करते हुए कहा कि आनंदपाल को आत्मसमर्पण के लिए कहा गया लेकिन उसने पुलिस पर फायरिंग शुरु कर दी। गौरतलब है कि आनंदपाल को 24 जून की देर रात चूरू जिले के मालासर गांव में पुलिस मुठभेड़ में मारा गया था।
आनंदपाल एनकाउंटर: कुछ सवाल जिनके जवाब भी तलाशे जाने चाहिए
इधर, आनंद पाल का उसके परिजनों के शव लेने से इंकार कर देने से सोमवार को दूसरे दिन भी उसका अंतिम संस्कार नहीं हो सका। मुठभेड़ में मारे जाने के बाद अगले दिन रविवार को उसके परिजनों ने उसका शव लेने से इंकार कर दिया था।
परिजन मुठभेड़ मामले की केन्द्रीय जांच ब्यूरों (सीबीआई) से जांच की मांग कर रहे है। गांव में आनंदपाल के परिजन तथा अन्य कई लोग एकत्रित हो गए, जिससे गांव में स्थिति तनावपूर्ण बन गई। मौके पर भारी पुलिस बल तैनात किया गया है। आनंदपाल का शव अभी चूरू जिले के रतनगढ़ अस्पताल में ही है।
राजस्थान में दहशत का दूसरा नाम बन चुका गैंगस्टर आनंदपाल सिंह नागौर के लाडनूं तहसील के गांव सांवराद में जन्मा और जवान होते होते क्राइम की दुनिया का बड़ा नाम बन गया. बुलेटप्रूफ जैकेट पहनकर खून की होली खेलना आनंदपाल का शौक रहा है.
खतरनाक हथियारों पर आनंदपाल प्रदेश के अपराध जगत का बेताज बादशाह बनने की कोशिश करता रहा. आनंदपाल पर लूट, डकैती, हत्या सहित दो दर्जन से भी ज्यादा मामले दर्ज हैं.
ऐसे आया अपराध के दलदल में
- आनंदपाल अपराध की दुनिया में बलबीर गैंग की वजह से आया.
कहानी शुरू होती है 1997 से, तब बलबीर बानूड़ा और राजू ठेहट दोस्त हुआ करते थे.
- दोनों शराब के धंधे से जुड़े हुए थे, 2005 में हुई एक हत्या ने दोनों दोस्तों के बीच दुश्मनी की दीवार खड़ी कर दी.
- शराब ठेके पर बैठने वाले सेल्समैन विजयपाल की राजू ठेहट से किसी बात पर कहासुनी हो गई.
- पुलिस के मुताबिक-विवाद इतना बढ़ा कि राजू ने अपने साथियों के साथ मिलकर विजयपाल की हत्या कर दी.
- विजयपाल रिश्ते में बलबीर का साला लगता था. विजय की हत्या से दोनों दोस्तों में दुश्मनी शुरू हो गई.
- बलबीर ने राजू के गैंग से निकलकर अपना गिरोह बना लिया.
- कुछ समय बाद बलबीर की गैंग में आनंदपाल शामिल हुआ तो इनके आतंक ने दहशत फैला दी.
फिर होता गया कुख्यात
2011 तक खुद गोदारा मर्डर, फोगावट हत्याकांड से कुख्यात हुआ.
- आनंदपाल 2006 से अपराध जगत में शामिल हुआ. तब से उसने अपना क्राइम ग्राफ लगातार बढ़ाया.
- 2006 में उसने राजस्थान के डीडवाना में जीवनराम गोदारा की गोलियों से भूनकर हत्या कर दी थी.
- गोदारा की हत्या के अलावा आनंदपाल के नाम डीडवाना में ही 13 मामले दर्ज है.
- जहां 8 मामलों में कोर्ट ने आनंदपाल को भगौड़ा घोषित किया हुआ था.
- सीकर के गोपाल फोगावट हत्याकांड को भी आनंद पाल ने ही अंजाम दिया.
- गोदारा और फोगावट की हत्या करने का मामला समय-समय पर विधानसभा में गूंजता रहा है.
- 29 जून 2011 को आनंद पाल ने सुजानगढ़ में भोजलाई चौराहे पर गोलियां चलाकर तीन लोगों को घायल कर दिया.
- 2006 से 2011 तक आनंदपाल गुनाह पे गुनाह करता चला गया और कुख्यात बदमाश, पुलिस भगौड़ा मोस्ट वांटेड बन गया.
गैंग बनाई और फिर खुद कभी क्राइम करते सामने नहीं आया
- 2011 के बाद 2015 तक आनंदपाल खुद कभी क्राइम करते सामने नहीं आया.
- इस डॉन ने अपराध के तरीके बदल दिए, राजस्थान में एक नए तरह के अपराध को जन्म दिया.
- आनंदपाल ने 10 से 20 युवकों की अपनी गैंग को 200 युवकों की गैंग में तब्दील कर दिया, ये 200 युवक अपने क्षेत्र के दादा कहलाते.
- यानि इन 200 गुर्गों की भी खुद की अपनी गैंग अलग से थी, सब के सब आनंदपाल के भक्त बन गए.
- इसके बाद सिलसिला शुरू हुआ नए तरह के अपराधों का, जो इससे पहले राजस्थान में नहीं हुए थे.
- आनंदपाल गिरोह के करीबी गुर्गे नागौर, सीकर, चूरू, जयपुर में पैसे वालों लोगों को चिन्हित करने में जुट गए.
- पूरी टीम तैयार होते ही आनंदपाल ने जयपुर के निकट फागी में एसओजी के सामने सरेंडर कर दिया.
- इसके बाद आनंदपाल जेल से ही गैंग को चलाने लगा और फिरौती, वसूली, मारकाट का सिलसिला चलता रहा.
- आनंदपाल को करीब से जानने वाले लोग बताते हैं कि आनंदपाल ने हवाला, हुंडी के रुपए इस कदर लूटे कि वह करोड़पति बन गया.
-इस दौरान जयपुर-नागौर का मेगा हाइवे बनने लगा, डीडवाना से लेकर कुचमान तक जमीन की कीमत आसमान छूने लगी.
- आनंदपाल ने गुर्गों व बंदूक के दम पर सैकड़ों बीघा जमीन पर कब्जा कर लिया, जो मेगा हाईवे के किनारे थी.
- आनंदपाल ने एक-एक कर दर्जनों व्यापारियों, उद्योगपतियों को निशाना बनाया.
- हालात ऐसे पैदा हुए कि लोग आपसी झगड़े में भी पुलिस की बजाए आनंदपाल की मदद लेने लगे.
- इस गैंग ने जाति का रंग भी दिया, इसे राजपूत और जाटों की लड़ाई का रूप दिया तो नागौर में गैंगेवार के दो गुट बन गए.
- कुछ लोग आनंदपाल से मदद लेते तो कुछ राजू ठेठ से और दोनों ही जेल में बंद थे.
आनंदपाल जेल से गुर्गों की मदद से चलाता था गैंग
- आनंदपाल की गैंग को उसके खास गुर्गे मैनेज करते थे, आनदपाल की फरारी के बाद पुलिस की गिरफ्त में आए गैंग के थिंकटैंक कहे जाने वाले महिपाल उर्फ मोंटी और शार्प शूटर आजाद सिंह ने इसका खुलासा किया.
- इन दोनों ने आनंदपाल के साथ मिलकर प्रदेश की एक दर्जन से अधिक बड़ी वारदातों को अंजाम दिया था. इसमें हत्या, लूट, सुपारी और जमीनों पर कब्जे के प्रकरण शामिल हैं.
- मोंटी गैंग का सबसे शातिर बदमाश है, उसके पास अपराधों को अंजाम देने के बेहतरीन आइडिया रहते थे.
- मोंटी की गैंग को गाइड करता था कि किस तरह से वारदात को अंजाम देना है और वारदात के बाद आगे क्या करना है.
- पुलिस के हाथों पकड़ा गया आरोपी लक्ष्मण सिंह फरार आरोपियों को अलग अलग ठिकानों पर रूकवाता और उनके
खाने-पीने की व्यवस्था करता था.
जेल में शाही लाइफ जीता था आनंदपाल
- कहते हैं कि जेल से भागने के लिए आनंदपाल ने जेल के डिप्टी से लेकर मुख्य प्रहरी को धन-बल के प्रभाव से काबू में कर लिया था.
- बताया जाता है कि जेल में उसकी एक महिला सहयोगी अनुराधा भी मिलने आती थी.
- अजमेर हाई सिक्यूरिटी जेल के सामने चाय की दुकान चलाने वाले रविकुमार रील ने अपने बयान में बताया था.
- उसकी दुकान से रोज सुबह 5 लीटर दूध व 5 लीटर छाछ, जबकि शाम को 6 लीटर दूध जाता था.
- आनंदपाल के खाते में हर महीने 20 हजार रुपए का दूध-छाछ जेल में पहुंचाए जाते थे.
- अजमेर के रहने वाले महेंद्र सिंह हर सप्ताह इसका एडवांस हिसाब करता था.
- इसमें से आधा से भी ज्यादा दूध कुख्यात कैदी आनंदपाल खुद पीता था.
हमेशा साथ रखता था भारी हथियार
-आनंदपाल खुद के साथ हमेशा हथियारों का भारी असला रखता था. गुढा भगवानदास मुठभेड़ के बाद फोर्च्यूनर कार से 600 कारतूसमिले थे.
प्रतिनिधिमंडल के सदस्यों का कहना था कि जिन परिस्थितियों में आनंदपाल का एनकाउंटर हुआ है वो कई तरह के सवाल खड़े कर रहा है, लिहाज़ा इस मामले की निष्पक्ष जांच सीबीआई से करवाई जाए।
राजस्थान के कुख्यात गैंगस्टर आनंदपाल के एनकाउंटर का मामला गर्माता जा रहा है। ये मामला अब दिल्ली तक पहुंच गया है। एक प्रतिनिधिमंडल ने इस एनकाउंटर पर सवाल उठाते हुए केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह से मुलाक़ात की है।
जानकारी के मुताबिक़ आनंदपाल मामले में अदालत में पक्ष रख रहे वकील एपी सिंह मंगलवार सुबह केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह से मुलाक़ात करने दिल्ली पहुंचे। एपी सिंह के साथ कुछ अन्य वकीलों और अखिल भारतीय क्षत्रिय महासभा के पदाधिकारी भी मौजूद रहे।
बताया जा रहा है कि प्रतिनिधिमंडल ने राजनाथ सिंह के समक्ष राजस्थान पुलिस द्वारा किये गए आनंदपाल के एनकाउंटर से जुड़े कई मसलों पर चर्चा की। प्रतिनिधिमंडल ने एनकाउंटर को फ़र्ज़ी करार देते हुए इस पूरे मामले की सीबीआई जांच करवाने की मांग की।
प्रतिनिधिमंडल के सदस्यों का कहना था कि जिन परिस्थितियों में आनंदपाल का एनकाउंटर हुआ है वो कई तरह के सवाल खड़े कर रहा है, लिहाज़ा इस मामले की निष्पक्ष जांच सीबीआई से करवाई जाए। बताया जा रहा है कि गृह मंत्री ने इन मांगों पर विचार करने का आश्वासन दिया है।
'मरने के बाद व्यक्ति का शव पवित्र, अंतिम संस्कार से इंकार उसके साथ अत्याचार'
राजस्थान के गृहमंत्री गुलाबचंद कटारिया ने कहा है कि व्यक्ति के मरने के बाद शव को पवित्र माना जाता है और अंतिम संस्कार से इंकार कर उसके साथ अत्याचार करना है।
उन्होंने पुलिस की बहादुरी की सहराहना करते हुए कहा कि आनंदपाल को आत्मसमर्पण के लिए कहा गया लेकिन उसने पुलिस पर फायरिंग शुरु कर दी। गौरतलब है कि आनंदपाल को 24 जून की देर रात चूरू जिले के मालासर गांव में पुलिस मुठभेड़ में मारा गया था।
आनंदपाल एनकाउंटर: कुछ सवाल जिनके जवाब भी तलाशे जाने चाहिए
इधर, आनंद पाल का उसके परिजनों के शव लेने से इंकार कर देने से सोमवार को दूसरे दिन भी उसका अंतिम संस्कार नहीं हो सका। मुठभेड़ में मारे जाने के बाद अगले दिन रविवार को उसके परिजनों ने उसका शव लेने से इंकार कर दिया था।
परिजन मुठभेड़ मामले की केन्द्रीय जांच ब्यूरों (सीबीआई) से जांच की मांग कर रहे है। गांव में आनंदपाल के परिजन तथा अन्य कई लोग एकत्रित हो गए, जिससे गांव में स्थिति तनावपूर्ण बन गई। मौके पर भारी पुलिस बल तैनात किया गया है। आनंदपाल का शव अभी चूरू जिले के रतनगढ़ अस्पताल में ही है।
राजस्थान में दहशत का दूसरा नाम बन चुका गैंगस्टर आनंदपाल सिंह नागौर के लाडनूं तहसील के गांव सांवराद में जन्मा और जवान होते होते क्राइम की दुनिया का बड़ा नाम बन गया. बुलेटप्रूफ जैकेट पहनकर खून की होली खेलना आनंदपाल का शौक रहा है.
खतरनाक हथियारों पर आनंदपाल प्रदेश के अपराध जगत का बेताज बादशाह बनने की कोशिश करता रहा. आनंदपाल पर लूट, डकैती, हत्या सहित दो दर्जन से भी ज्यादा मामले दर्ज हैं.
ऐसे आया अपराध के दलदल में
- आनंदपाल अपराध की दुनिया में बलबीर गैंग की वजह से आया.
कहानी शुरू होती है 1997 से, तब बलबीर बानूड़ा और राजू ठेहट दोस्त हुआ करते थे.
- दोनों शराब के धंधे से जुड़े हुए थे, 2005 में हुई एक हत्या ने दोनों दोस्तों के बीच दुश्मनी की दीवार खड़ी कर दी.
- शराब ठेके पर बैठने वाले सेल्समैन विजयपाल की राजू ठेहट से किसी बात पर कहासुनी हो गई.
- पुलिस के मुताबिक-विवाद इतना बढ़ा कि राजू ने अपने साथियों के साथ मिलकर विजयपाल की हत्या कर दी.
- विजयपाल रिश्ते में बलबीर का साला लगता था. विजय की हत्या से दोनों दोस्तों में दुश्मनी शुरू हो गई.
- बलबीर ने राजू के गैंग से निकलकर अपना गिरोह बना लिया.
- कुछ समय बाद बलबीर की गैंग में आनंदपाल शामिल हुआ तो इनके आतंक ने दहशत फैला दी.
फिर होता गया कुख्यात
2011 तक खुद गोदारा मर्डर, फोगावट हत्याकांड से कुख्यात हुआ.
- आनंदपाल 2006 से अपराध जगत में शामिल हुआ. तब से उसने अपना क्राइम ग्राफ लगातार बढ़ाया.
- 2006 में उसने राजस्थान के डीडवाना में जीवनराम गोदारा की गोलियों से भूनकर हत्या कर दी थी.
- गोदारा की हत्या के अलावा आनंदपाल के नाम डीडवाना में ही 13 मामले दर्ज है.
- जहां 8 मामलों में कोर्ट ने आनंदपाल को भगौड़ा घोषित किया हुआ था.
- सीकर के गोपाल फोगावट हत्याकांड को भी आनंद पाल ने ही अंजाम दिया.
- गोदारा और फोगावट की हत्या करने का मामला समय-समय पर विधानसभा में गूंजता रहा है.
- 29 जून 2011 को आनंद पाल ने सुजानगढ़ में भोजलाई चौराहे पर गोलियां चलाकर तीन लोगों को घायल कर दिया.
- 2006 से 2011 तक आनंदपाल गुनाह पे गुनाह करता चला गया और कुख्यात बदमाश, पुलिस भगौड़ा मोस्ट वांटेड बन गया.
गैंग बनाई और फिर खुद कभी क्राइम करते सामने नहीं आया
- 2011 के बाद 2015 तक आनंदपाल खुद कभी क्राइम करते सामने नहीं आया.
- इस डॉन ने अपराध के तरीके बदल दिए, राजस्थान में एक नए तरह के अपराध को जन्म दिया.
- आनंदपाल ने 10 से 20 युवकों की अपनी गैंग को 200 युवकों की गैंग में तब्दील कर दिया, ये 200 युवक अपने क्षेत्र के दादा कहलाते.
- यानि इन 200 गुर्गों की भी खुद की अपनी गैंग अलग से थी, सब के सब आनंदपाल के भक्त बन गए.
- इसके बाद सिलसिला शुरू हुआ नए तरह के अपराधों का, जो इससे पहले राजस्थान में नहीं हुए थे.
- आनंदपाल गिरोह के करीबी गुर्गे नागौर, सीकर, चूरू, जयपुर में पैसे वालों लोगों को चिन्हित करने में जुट गए.
- पूरी टीम तैयार होते ही आनंदपाल ने जयपुर के निकट फागी में एसओजी के सामने सरेंडर कर दिया.
- इसके बाद आनंदपाल जेल से ही गैंग को चलाने लगा और फिरौती, वसूली, मारकाट का सिलसिला चलता रहा.
- आनंदपाल को करीब से जानने वाले लोग बताते हैं कि आनंदपाल ने हवाला, हुंडी के रुपए इस कदर लूटे कि वह करोड़पति बन गया.
-इस दौरान जयपुर-नागौर का मेगा हाइवे बनने लगा, डीडवाना से लेकर कुचमान तक जमीन की कीमत आसमान छूने लगी.
- आनंदपाल ने गुर्गों व बंदूक के दम पर सैकड़ों बीघा जमीन पर कब्जा कर लिया, जो मेगा हाईवे के किनारे थी.
- आनंदपाल ने एक-एक कर दर्जनों व्यापारियों, उद्योगपतियों को निशाना बनाया.
- हालात ऐसे पैदा हुए कि लोग आपसी झगड़े में भी पुलिस की बजाए आनंदपाल की मदद लेने लगे.
- इस गैंग ने जाति का रंग भी दिया, इसे राजपूत और जाटों की लड़ाई का रूप दिया तो नागौर में गैंगेवार के दो गुट बन गए.
- कुछ लोग आनंदपाल से मदद लेते तो कुछ राजू ठेठ से और दोनों ही जेल में बंद थे.
आनंदपाल जेल से गुर्गों की मदद से चलाता था गैंग
- आनंदपाल की गैंग को उसके खास गुर्गे मैनेज करते थे, आनदपाल की फरारी के बाद पुलिस की गिरफ्त में आए गैंग के थिंकटैंक कहे जाने वाले महिपाल उर्फ मोंटी और शार्प शूटर आजाद सिंह ने इसका खुलासा किया.
- इन दोनों ने आनंदपाल के साथ मिलकर प्रदेश की एक दर्जन से अधिक बड़ी वारदातों को अंजाम दिया था. इसमें हत्या, लूट, सुपारी और जमीनों पर कब्जे के प्रकरण शामिल हैं.
- मोंटी गैंग का सबसे शातिर बदमाश है, उसके पास अपराधों को अंजाम देने के बेहतरीन आइडिया रहते थे.
- मोंटी की गैंग को गाइड करता था कि किस तरह से वारदात को अंजाम देना है और वारदात के बाद आगे क्या करना है.
- पुलिस के हाथों पकड़ा गया आरोपी लक्ष्मण सिंह फरार आरोपियों को अलग अलग ठिकानों पर रूकवाता और उनके
खाने-पीने की व्यवस्था करता था.
जेल में शाही लाइफ जीता था आनंदपाल
- कहते हैं कि जेल से भागने के लिए आनंदपाल ने जेल के डिप्टी से लेकर मुख्य प्रहरी को धन-बल के प्रभाव से काबू में कर लिया था.
- बताया जाता है कि जेल में उसकी एक महिला सहयोगी अनुराधा भी मिलने आती थी.
- अजमेर हाई सिक्यूरिटी जेल के सामने चाय की दुकान चलाने वाले रविकुमार रील ने अपने बयान में बताया था.
- उसकी दुकान से रोज सुबह 5 लीटर दूध व 5 लीटर छाछ, जबकि शाम को 6 लीटर दूध जाता था.
- आनंदपाल के खाते में हर महीने 20 हजार रुपए का दूध-छाछ जेल में पहुंचाए जाते थे.
- अजमेर के रहने वाले महेंद्र सिंह हर सप्ताह इसका एडवांस हिसाब करता था.
- इसमें से आधा से भी ज्यादा दूध कुख्यात कैदी आनंदपाल खुद पीता था.
हमेशा साथ रखता था भारी हथियार
-आनंदपाल खुद के साथ हमेशा हथियारों का भारी असला रखता था. गुढा भगवानदास मुठभेड़ के बाद फोर्च्यूनर कार से 600 कारतूसमिले थे.
अब तो जागो मेरे रणबांकुरों,तुम ऐसा कुछ कर जाओ,
जवाब देंहटाएंउनकी जय जय कार करो,अपनी भी जय करवाओ,
जैसे हम उनके वंशज करते सम्मान से उनको याद,
उसी तरह सम्मान करें हमारा, सब इस जग से जाने के बाद ,