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करणी माता देशनोक पर दोहे

करणी माता देशनोक पर दोहे

*क्षत्रिय साहित्यिक व्हाट्सएप समुह "साहित अर शमशीर" के कवियों द्वारा "करणी माता देशनोक पर दोहे, सोरठे व मुक्तक लिखे गए।*
*दिनांक 19-08-2018*
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*शैल कंवर शक्तावत कृत*
परचो थारो देखबा ,आवे भगत अपार।
हुकम होय तो आव स्यूं ,देशनोक दरबार।।
==============================
*संतोष कंवर जोधा बाबरा कृत*
(1)
जब कोई नही आता ,मेरी भवानी आती है।
मेरे दु;ख के दिनो मे ,काम करणी आती है।।
(2)
मेरी नैया चलती है,पतवार नही होती।
किसी और की अब दरकार नहीं होती।।
(3)
मै डरती नही रस्ते,सुनसान आते है।
दु;ख के दिनों मे,जज्बात जाग जाते है।।
(4)
कोई याद करे इनको, दु:ख हल्का हो जाता है।
कोई पेे्म करे इनसे,वो इनका हो जाता है।।
(5)
ये बिन बोलेदु:ख को ,जान जाती है।
हर भक्तो का कहना ये,मान जाती है।।
(6)
ये इतनी बडी होकर भी,दीनो से प्यार करती है।
ये करणी मां छोटे बडे सबको स्वीकार करती है।।
===============================
*श्रवण सिंह राजावत जोधपुर कृत*
(1)
करणी हरणी कष्ट की तरणि भव संसार
जरणी सारा जगत की धरणी की आधार
(2)
देशनोक दरबार री शोभा घणी सुहाय
दरशन  करबा देवरे भगत घनेरा आय
(3)
करणी काज संवारती हरती जग संताप
नाम घणो नौखंड में काटे सारा पाप
(4)
बीका ने बरदान दे थरपयो बीकानेर
कीरत करणी आपरी फैली च्यारुंमेर
(5)
काबा घूमे चौक में करणी रे दरबार
जोत जगे जोर की होवे जय जयकार
(6)
अरजी म्हारी आप सूं सुनल्यो करणी मात
हाथ जोड़ अरजी करूँ हरो सभी उत्पात
(7)
भगति करतो भाव सूं करो आप स्वीकार
दो हाथ जोड़ूँ तने थारे हाथ हजार
(8)
दूर दूर से आवता जातरी थारे धाम
ढोक लगावे मात रे रोज उच्चारे नाम
(9)
बालक थारो बावलों नही जानें कोई रीत
जेहड़ी है सो मानले चरण लगाई प्रीत
(10)
चरणा चाकर राखले कैवूं माँ कर जोर
पार करो परमेश्वरी पकड़ो म्हारी डोर
===============================
*अजयसिंह राठौड़ सिकरोड़ी कृत*
(1)
रटूँ रात दिन करनला,धरनै हिवड़ै ध्यान।
आई सिंवरु आपनै,अवनी आठों याम।।
(2)
दाळद हरनै डोकरी,सुख सम्पत सरसाय।
मोटी करनल मावड़ी, मेहाई महमाय।।
(3)
भव दुख भंजन भगवती, हरनै पीड़ हजार।
सुख सम्पत दे सांतरो,भर दीजै भंडार।।
(4)
भरै भंडारा भगवती,आई अपरम्पार।
किनियानी मां करनला, देवी लख दातार।।
(5)
कस्ट हरै मां करनला,अपणै भगतां आप।
सुणतां हेलो सांमलै,देसाणा धणियाप।।
(6)
देवण हाळी डोकरी, म्हे हूँ मांगणहार।
बिण मांगै ही मावड़ी,देवै आप दतार।।
(7)
भगत उबारण भगवती, अवनी पल में आय।
कानां पड़तां करनला, मेहाई महमाय।।
(8)
कमधज अजेय करनला, गुण तेरा ही गाय।
बेजां तूठी भगवती,मेहाई महमाय।।
(9)
बीच हथेली भगवती,जगमग जोत जगाय।
आई  पूजूं  आपनै, मेहाई  महमाय।।
(10)
अजयसिंह री आवड़ा,अवस सुनै अरदास।
किरपा राखै करनला, कमधज माथै खास।।
(11)
आई थारौ आसरो,बड़ो मात विस्वास।
कमधज अजेय करनला,कहिजे सेवग खास।।
================================
*शिवराज सिंह चौहान"नान्धा"कृत*
(1)
करणी दुख हरणी मेरी,भरणी तू भन्डार !
तरणी तारणहार तेरी,माया अपरमपार।।
(2)
देशनोक इस्थान है,जिलो सै बिकानेर !
काबा आळी मात के, जा ले मत कर देर !!
(3)
पांव उठा मत टेकिये,जब तू मन्दिर जाय !
रिगस रिगस पग चालिए, काबा दिये बचाय !!
(4)
करनल कै ठाडा भर्या,आशीषां भण्डार !
देशनोक मैं जायकै,पा ले मां का प्यार !!
(5)
जोत जठे जगमग जळै,काबा करै किलौल !
जा कै जपले जातरी,करनल दे दिल खोल !!
(6)
प्लैग बिमारी फैलगी,पूरी दुनियां मांय !
करणी किरपा कारणे,काबा लिये बचाय !!
(7)
धमड़ धमड़ ऐ बोलता,ढप ढोलक अर ढोल !
झांझर झण झण कर रही,काबा करै किलौल !!
(8)
करनल के दरबार मैं,काबा कई हजार !
धोळा काबा दरश हुवै,समझो बेड़ो पार !!
(9)
गाडी,घोड़ा,पेट पलणियां, पैदल आंवैं लोग !
काबा साथै करनला,हँस हँस लेवै भोग !!
(10)
देशनोक मैं धोक दे,जा उसके दरबार !
करणी मां के कारणे,हो जा भव से पार !!
(11)
हाथ जोड़ मैं अरज करूं,सुण ले म्हारी मात !
करनल दर्शन पांण नै,दिन देखूं ना रात !!
================================
*भवानी सिंह राठौड़ टापरवाडा़ भावुक कृत*
(1)
एक अरज है आवड़ां,पीळोड़े परभात!
सोरा राखो सैण नें,म्हारी मोटी मात!!
(2)
दे दे दरशण डोकरी,मेहाई मम्माय!
साहित अर शमशीर में,आवड़ बैगी आय!!
(3)
गढ़ देसाणें गोरवें,मँढ में मोटी मांय!
भगतां रे मन भावती,सगती करणल सा'य!!
(4)
बैगी फेर बुलावजे,भरजे मन में भाव!
ज्योती निरखूं जायके,चित्त दरशण रो चाव!!
(5)
अंबे थूं क्यूं आंटगी,बिछड़ायो क्यूं बाळ!
कर किरपा अब करनला,सगती लेय सँभाळ!!
(6)
चेतो चूक्यो चालकी,चितड़ै नांही चाव!
नेणां निरखूं नागणी,भर हिवड़ा में भाव!!
(7)
चंडी मंडी छौड़के,आडे मारग आय!
कलकता री काळका,सिर पे शीतळ छांय!!
(8)
कीकर निरखूं करनला,देशाणों डाढ़ाळ!
पल्ले पूंजी पावणी,जिवड़ो जग जंजाळ!!
(9)
सुण अरजी थूं शांकरी,धर स्यूं थारो ध्यान!
बीका ने बळ देवणी,मनड़े थारो मान!!
(10)
मढ़ देसाणे मावड़ी,करणी जी किरतार!
भजने उतरो भायलां,पलमें भवसूं पार!!
(11)
डाढ़ाळीं मां डोकरी,जागै मुरधर जोत।
करणी करसी काजड़ा,भगती देसी भौत।।
(12)
जगजननी जगदंबिका,बीसहथी बिरदाळ!
करणी बणकर काळका,सगती लेय समाळ!!
(13)
हेलो ऐकर हामळो,दुखियां री दरवेश!
भाव जगादे भगवती,काटो काया क्ळैश!!
(14)
नमूं नमूं ले नांव ने,करणीजी किरतार!
'भावुक' थारो बाळक्यौ,तारो भुजा पसार!!
(15)
कळपूं में तो करनलां,पल में मेटो पीर!
भोळो 'भावुक' भूलगो,जल्म जल्म रो सीर!!
(16)
जरणी करणी जोरकी,जगदंबा जमवाय!
देसाणे री डोकरी,आडी झटपट आय!!
(17)
जांगळ धर में जायके,जगमग जोत जळाय!
मढ़ देसाणें मावड़ी,बीकाणों बसवाय!!
(18)
आप पधारो आवड़ां,आंगणिया में आज!
साहित अर शमशीर रा,सगळा सारो काज!!
(19)
करणी जी किरपाळ है,मेहाई मम्मांय!
सगती भगती सांवठी,दे दाढ़ांळी आय!!
(20)
चित्त में धारूं चारणी,रूड़ो थारो रूप!
कवित लिखूं मां करणलां,भोळो ढ़ाळो भूप!!
(21)
चढ़ने आवै चारणी,डाढ़ाळी मां दौड़!
थापे रजवट थापना,बीसहथी बेजोड़!!
(22)
चित चंचल है चारणी,मनड़ो भटके मांय!
करदे करनल चानणों,जगमग जोत जगाय!!
(23)
झटसी शरणे जायके,मात निवावूं माथ!
दुखड़ा मेटो डोकरी,सिर पर धरदे हाथ!!
(24)
करणी जी री कीरती,बरणूं कीकर भाय!
ऊंचे आभै आयके,दे दरशण मम्मांय!!
(25)
देशनोक री डोकरी,ध्यावूं  धरने धीर!
सदा 'भवानी' साथमें,(तो)'भावुक' व्है बलबीर!!
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*रिछपालसिंह राठौड़ कांगसिया कृत*
(1)
कर जोड में नमन करू, करनल होय कृपाल।
सोरा राखे माँ सती, रक्षा पाय रिछपाल।।
(2)
शक्ति सहायक शैखाजी, बणी कंवली रूप।
अँग्रेजो की काल बणी, बचायो गंग भूप।।
(3)
ममता मोटी मावडी, बसाय नगर बिकाण।
काबा राख कनियाणी, दया करी दैशाण।।
(4)
माता टालै मोतडी, धीरज धरके ध्याय।
काल की महाकाल है, परेम परीत पाय।।
(5)
किरपा करज्यो करनला, मोटी म्हारी माय।
दुख दरिद्र दूर कर दया, देशाणे री राय।।
(6)
सूरज सामो देवरो, धजा फरुकती लाल।
मंदिर मायड मोहनो, काबा करे कमाल।।
(7)
नगाडा ढोल नोबता, झालर रो झनकार।
आवड होवै आरती, साँझ और संवार।।
(8)
नर नारी नो नोरतां, जग मग जलती जोत।
चेत पखवाड चानणा, आसोज सुख स्रोत।।
(9)
आओ माताआवडा, आंगन बैठो आप।
मंगल मूरत मावडी, पग पग मेटे पाप।।
(10)
मन मे बसगी मावडी, करनी माँ किरतार।
कलजुग कलमस काटणी, हरनी विघन हजार।।
==================================
*रतन सिंह चाँपावत रणसी कृत*
(1)
कथूं कीरत  कर कौड ,कर जोड़कर करनलां
मुकुट मणी सिर मौड़ माँ मोटी मेहासदू
(2)
दे दरसण रो दान आखर उकती ओपता
सगत तिहारी शान, जस गावूं मैं जोगणी ..
(3)
कर किरपा किनयांण भगतवछल भयहारिणी
आवड़ थारी आंण अवर न दूजो आसरो
(4)
सगती कर संभाळ शरण तिहारे शंकरी
डोकरड़ी डाढाळ  आद भवानी ईशरी
(5)
अरज करूं हूं आज ,चरणन में तव चारणी
लोवड़याळी लाज रखजै इण राठौड़ री
(6)
अरज करूं हूं आज ,चरणन में में तव चारणी
लोवड़याळी लाज रखजै इण राठौड़ री
(7)
आवड आंगण आव कूं.कूं पगल्या केसरी
मढडे वाली माव  काज संवारो करनला
(8)
आवड रुप अनंत नव दुरगा नारायणी
दीपै दिग दिगंत दिवला देवळ देवरै
================================
*महेन्द्र सिंह राठौड़ जाखली कृत*
(1)
करणी माता आप तो, हो अम्बे अवतार
सकल सुधारों काज को,हे मैया करतार
(2)
मैं तो ठहरा बावरा,करो आप ही राज
संकट आये मात अब, निपटा दो हर काज
(3)
मदद करो हर मोड़ पर,देना मेरा साथ
करणी मां ओ करनला,पकडो़ मेरा हाथ
(4)
मैया आया भाग के, मै तो तेरे पास
भटक भटक कर तंग हूं,अब तेरे से आस
(5)
समझो मेरी भावना ,तेरे से अरदास
तेरे कदमों में पडा़,मै तो बारह मास
(6)
देश नोक की नाक हो,जग गाता है रोज
करती सबके काज को,सभी करे तब मोज
(7)
जीवित तेरा देवरा,करती सबका काम
आती मां आवाज पर,नहीं करे आराम
(8)
आज करो दरबार में,मेरा भी उद्धार
संकट मेरे काट दे,नैया करदे पार
(9)
देशाणा की डोकरी,कुछ तो करो उपाय
आज उभारो भगत को,डूब रहा है माय
(10)
बेडा़ मेरा पार कर,समद फसी है नाव
केवट बनके आ जरा,करदे ऊपर छाव
================================
*दिग्विजय सिंह गोगटिया कृत*
(1)
माँ करणी की  महिमा सम्मुख
जग  में   कोई  बात  कहां  हैं।
सुर्य का आगमन रोक सके जो
ऐसी   कोई   रात   कहां   है।।
(2)
मै    कवि   क्या   करू  बखान,
बस   प्रयास  ही   कर  सकता।
शब्द   समाले   करणल महिमा,
शब्दों   की  बिसात   कहां  है।।
(3)
करूणा    निधी    माँ    करणी,
भक्तो   की   पालन   हारक  है।
धर्म  में   बाधा  डाल   रहें   जो,
उन   दुष्टों   की   श्रंघारक   है।।
(4)
यहां  वहां  चाहो जहां कोई भी
स्थान      चुन     सकते     हो।
परचा     माता    करणी    का,
घर  घर  में  सुन  सकते   हो।।
(5)
इतने  चूहों   मढ़  में    पर   ना,
हुआ   प्लेग  क्युँ  जान  लिया।
चुहो   और   काबों   में  अन्तर,
विज्ञान  ने  भी   मान   लिया।।
(6)
माना   विज्ञान   ने   भी  आज,
करणी    मात      बिराजे    हैं।
इस युग में भी देशनोक मढ़ में
साक्षात मां करणी ही गाजे हैं।।
(7)
नित साधना धरने से हर  पाप
प्रायश्चित    हो     जाता     है।
दर्शन मात्र से सबका कल्याण
सुनिश्चित    हो    जाता    है।।
================================
*मदन सिंह शेखावत ढोढसर जयपुर कृत*
(1)
करणी सू अर्जी करू,भवसूं पार लगाय ।
धरसू थारा ध्यान मै,हर दिन रोज मनाय।।
(2)
देशनोक रो देवरो,भीङ पङे बेथाह ।
कई देश रा जात्ररी,आवे खुब ऊछाह।।
(3)
खुङद देश री मावङी,पूजे श्रद्धा भाव।
जन जन दौङ्यो आय है,मन वांछित फल पाव।।
(4)
ध्यावो ध्यान लगाय के,पुरो भरोसो राख।
मात नही निराश करे,सबने सोरा राख।।
(5)
देशनोक री मावङी,मोटी करनल मात।
भक्ता रा दुखङा हरे,नमन करे दिन  रात।।
(6)
भक्ता री मात सुणसी,गूढ भरोसा  राख।
होसी सगला काज भी,बणसी थारी साख।।
(7)
धीरज धरल्यो भायला सुणसी  सब की माय।
मात हीये मे धारलो,माॅ ही राखे छांय।।
(8)
डाढाळी दुख भंजणी,करणी सेवक काज।
भक्तो की झट पट सुणे,सवारे कल व आज ।।
(9)
घट घट बसती भगवती,झट पट करती काज।
सेवो सेवा भाव सू,हरसी सब जंजाल।।
(10)
जगदम्बा ज्वाला बसै जोबनेर के माय।
मोटी म्हारी मावङी, बसगी डुंगर जाय।।
(11)
रामगढ जंमवाय है,कच्छावा कुल देव।
पैदल जावे जात्ररी,करे माय री सेव।।
(12)
मोटो राखो मनङो मीनख पणा र माय
ऐङा मानुष मोकळा, मांगे माॅ  सू नाय।।
(13)
बिन मांग्या सब देय है,मांग्या  देवे नाय।
माॅ मनङा री जाणती सांच देवु बतलाय
(14)
संकट हरसी आपरा राखो मन विश्वास ।
मायङ दुख ना देखती,पुरी राखो आस।।
(15)
माॅ भक्तो के कारणे दौङी दौङी आय।
डाढाळी दुख भंजणी,करती सदा सहाय
=================================
*कुँवर विराज सिंह शेखावत भन्डुदा छोटा कृत*
(1)
कांई  मांगू करनला, दियो घणो दातार।
बिन मांग्या बोल्यां बिना,भरिया सब भंडार।।
(2)
नाम दियो र काम दियो,परबल करी पिचाण।
भाव दिया भगती घणी, करनादे किनियाण।।
(3)
अक्षर लय सुर ताल दिया,छंदा तणो रिवाज।
बड़ा मंच भरपुर दिया, मेहाइ महाराज।।
(4)
नेह घणो मा आप दियो, दियो एक परिवार।
साहित अर शमशीर जिसो,किरपालू किरतार।।
(5)
बीसहथि वेवार दियो,अर दीन्या संस्कार।
अर छोटी सी इक जगह, दिनी थारे द्वार।।
(6)
चार चीज माँ चारणी, देवो दीनदयाल।
इक सरकारी नौकरी, बगसो माँ डाढाळ।।
(7)
दूजी चीज माँ दीजिये, परमानेंट निवास।
देशाणाले देश मे, बणवाज्योे आवास।।
(8)
चिरजा थारी चारणी, गाय सकूं दिन रात।
तीजो वर ओ दीजिये, देशनोक री मात।।
(9)
इक वर मांगू चाव सूं, सुणजो थे सरताज।
काबो कीजे करनला, मरियां पछे "विराज"।।
(10)
काया रूपी करनला,कपड़ा जोय दिराय,
ऊजळ करजे आतमा,श्री करणी सुरराय।।
================================
*महेन्द्र सिंह शेखावत केहरपुरा कृत*
(1)
करणी कृपा रख सदा,सिर पर थारो हाथ
विपदा हरो, मदद करो,रहो हमेशा साथ
(2)
देशनोक दरबार में, महिमा अपरम्पार
आशीर्वाद मां आपरो,मैं पाऊं बारम्बार
=================================
संकलन कर्ता:--भवानी सिंह राठौड़ "भावुक" टापरवाडा़ एडमीन "साहित अर शमशीर" क्षत्रिय व्हाट्सएप ग्रुप मोबाइल नंबर 7016136759
=================================*क्षत्रिय साहित्यिक व्हाट्सएप समुह "साहित अर शमशीर" के कवियों द्वारा "करणी माता देशनोक पर दोहे, सोरठे व मुक्तक लिखे गए।*
*दिनांक 19-08-2018*
""""""""""""""""""""""""""""""""""""""""""""""""""""""""""""""""
*शैल कंवर शक्तावत कृत*
परचो थारो देखबा ,आवे भगत अपार।
हुकम होय तो आव स्यूं ,देशनोक दरबार।।
==============================
*संतोष कंवर जोधा बाबरा कृत*
(1)
जब कोई नही आता ,मेरी भवानी आती है।
मेरे दु;ख के दिनो मे ,काम करणी आती है।।
(2)
मेरी नैया चलती है,पतवार नही होती।
किसी और की अब दरकार नहीं होती।।
(3)
मै डरती नही रस्ते,सुनसान आते है।
दु;ख के दिनों मे,जज्बात जाग जाते है।।
(4)
कोई याद करे इनको, दु:ख हल्का हो जाता है।
कोई पेे्म करे इनसे,वो इनका हो जाता है।।
(5)
ये बिन बोलेदु:ख को ,जान जाती है।
हर भक्तो का कहना ये,मान जाती है।।
(6)
ये इतनी बडी होकर भी,दीनो से प्यार करती है।
ये करणी मां छोटे बडे सबको स्वीकार करती है।।
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*श्रवण सिंह राजावत जोधपुर कृत*
(1)
करणी हरणी कष्ट की तरणि भव संसार
जरणी सारा जगत की धरणी की आधार
(2)
देशनोक दरबार री शोभा घणी सुहाय
दरशन  करबा देवरे भगत घनेरा आय
(3)
करणी काज संवारती हरती जग संताप
नाम घणो नौखंड में काटे सारा पाप
(4)
बीका ने बरदान दे थरपयो बीकानेर
कीरत करणी आपरी फैली च्यारुंमेर
(5)
काबा घूमे चौक में करणी रे दरबार
जोत जगे जोर की होवे जय जयकार
(6)
अरजी म्हारी आप सूं सुनल्यो करणी मात
हाथ जोड़ अरजी करूँ हरो सभी उत्पात
(7)
भगति करतो भाव सूं करो आप स्वीकार
दो हाथ जोड़ूँ तने थारे हाथ हजार
(8)
दूर दूर से आवता जातरी थारे धाम
ढोक लगावे मात रे रोज उच्चारे नाम
(9)
बालक थारो बावलों नही जानें कोई रीत
जेहड़ी है सो मानले चरण लगाई प्रीत
(10)
चरणा चाकर राखले कैवूं माँ कर जोर
पार करो परमेश्वरी पकड़ो म्हारी डोर
===============================
*अजयसिंह राठौड़ सिकरोड़ी कृत*
(1)
रटूँ रात दिन करनला,धरनै हिवड़ै ध्यान।
आई सिंवरु आपनै,अवनी आठों याम।।
(2)
दाळद हरनै डोकरी,सुख सम्पत सरसाय।
मोटी करनल मावड़ी, मेहाई महमाय।।
(3)
भव दुख भंजन भगवती, हरनै पीड़ हजार।
सुख सम्पत दे सांतरो,भर दीजै भंडार।।
(4)
भरै भंडारा भगवती,आई अपरम्पार।
किनियानी मां करनला, देवी लख दातार।।
(5)
कस्ट हरै मां करनला,अपणै भगतां आप।
सुणतां हेलो सांमलै,देसाणा धणियाप।।
(6)
देवण हाळी डोकरी, म्हे हूँ मांगणहार।
बिण मांगै ही मावड़ी,देवै आप दतार।।
(7)
भगत उबारण भगवती, अवनी पल में आय।
कानां पड़तां करनला, मेहाई महमाय।।
(8)
कमधज अजेय करनला, गुण तेरा ही गाय।
बेजां तूठी भगवती,मेहाई महमाय।।
(9)
बीच हथेली भगवती,जगमग जोत जगाय।
आई  पूजूं  आपनै, मेहाई  महमाय।।
(10)
अजयसिंह री आवड़ा,अवस सुनै अरदास।
किरपा राखै करनला, कमधज माथै खास।।
(11)
आई थारौ आसरो,बड़ो मात विस्वास।
कमधज अजेय करनला,कहिजे सेवग खास।।
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*शिवराज सिंह चौहान"नान्धा"कृत*
(1)
करणी दुख हरणी मेरी,भरणी तू भन्डार !
तरणी तारणहार तेरी,माया अपरमपार।।
(2)
देशनोक इस्थान है,जिलो सै बिकानेर !
काबा आळी मात के, जा ले मत कर देर !!
(3)
पांव उठा मत टेकिये,जब तू मन्दिर जाय !
रिगस रिगस पग चालिए, काबा दिये बचाय !!
(4)
करनल कै ठाडा भर्या,आशीषां भण्डार !
देशनोक मैं जायकै,पा ले मां का प्यार !!
(5)
जोत जठे जगमग जळै,काबा करै किलौल !
जा कै जपले जातरी,करनल दे दिल खोल !!
(6)
प्लैग बिमारी फैलगी,पूरी दुनियां मांय !
करणी किरपा कारणे,काबा लिये बचाय !!
(7)
धमड़ धमड़ ऐ बोलता,ढप ढोलक अर ढोल !
झांझर झण झण कर रही,काबा करै किलौल !!
(8)
करनल के दरबार मैं,काबा कई हजार !
धोळा काबा दरश हुवै,समझो बेड़ो पार !!
(9)
गाडी,घोड़ा,पेट पलणियां, पैदल आंवैं लोग !
काबा साथै करनला,हँस हँस लेवै भोग !!
(10)
देशनोक मैं धोक दे,जा उसके दरबार !
करणी मां के कारणे,हो जा भव से पार !!
(11)
हाथ जोड़ मैं अरज करूं,सुण ले म्हारी मात !
करनल दर्शन पांण नै,दिन देखूं ना रात !!
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*भवानी सिंह राठौड़ टापरवाडा़ भावुक कृत*
(1)
एक अरज है आवड़ां,पीळोड़े परभात!
सोरा राखो सैण नें,म्हारी मोटी मात!!
(2)
दे दे दरशण डोकरी,मेहाई मम्माय!
साहित अर शमशीर में,आवड़ बैगी आय!!
(3)
गढ़ देसाणें गोरवें,मँढ में मोटी मांय!
भगतां रे मन भावती,सगती करणल सा'य!!
(4)
बैगी फेर बुलावजे,भरजे मन में भाव!
ज्योती निरखूं जायके,चित्त दरशण रो चाव!!
(5)
अंबे थूं क्यूं आंटगी,बिछड़ायो क्यूं बाळ!
कर किरपा अब करनला,सगती लेय सँभाळ!!
(6)
चेतो चूक्यो चालकी,चितड़ै नांही चाव!
नेणां निरखूं नागणी,भर हिवड़ा में भाव!!
(7)
चंडी मंडी छौड़के,आडे मारग आय!
कलकता री काळका,सिर पे शीतळ छांय!!
(8)
कीकर निरखूं करनला,देशाणों डाढ़ाळ!
पल्ले पूंजी पावणी,जिवड़ो जग जंजाळ!!
(9)
सुण अरजी थूं शांकरी,धर स्यूं थारो ध्यान!
बीका ने बळ देवणी,मनड़े थारो मान!!
(10)
मढ़ देसाणे मावड़ी,करणी जी किरतार!
भजने उतरो भायलां,पलमें भवसूं पार!!
(11)
डाढ़ाळीं मां डोकरी,जागै मुरधर जोत।
करणी करसी काजड़ा,भगती देसी भौत।।
(12)
जगजननी जगदंबिका,बीसहथी बिरदाळ!
करणी बणकर काळका,सगती लेय समाळ!!
(13)
हेलो ऐकर हामळो,दुखियां री दरवेश!
भाव जगादे भगवती,काटो काया क्ळैश!!
(14)
नमूं नमूं ले नांव ने,करणीजी किरतार!
'भावुक' थारो बाळक्यौ,तारो भुजा पसार!!
(15)
कळपूं में तो करनलां,पल में मेटो पीर!
भोळो 'भावुक' भूलगो,जल्म जल्म रो सीर!!
(16)
जरणी करणी जोरकी,जगदंबा जमवाय!
देसाणे री डोकरी,आडी झटपट आय!!
(17)
जांगळ धर में जायके,जगमग जोत जळाय!
मढ़ देसाणें मावड़ी,बीकाणों बसवाय!!
(18)
आप पधारो आवड़ां,आंगणिया में आज!
साहित अर शमशीर रा,सगळा सारो काज!!
(19)
करणी जी किरपाळ है,मेहाई मम्मांय!
सगती भगती सांवठी,दे दाढ़ांळी आय!!
(20)
चित्त में धारूं चारणी,रूड़ो थारो रूप!
कवित लिखूं मां करणलां,भोळो ढ़ाळो भूप!!
(21)
चढ़ने आवै चारणी,डाढ़ाळी मां दौड़!
थापे रजवट थापना,बीसहथी बेजोड़!!
(22)
चित चंचल है चारणी,मनड़ो भटके मांय!
करदे करनल चानणों,जगमग जोत जगाय!!
(23)
झटसी शरणे जायके,मात निवावूं माथ!
दुखड़ा मेटो डोकरी,सिर पर धरदे हाथ!!
(24)
करणी जी री कीरती,बरणूं कीकर भाय!
ऊंचे आभै आयके,दे दरशण मम्मांय!!
(25)
देशनोक री डोकरी,ध्यावूं  धरने धीर!
सदा 'भवानी' साथमें,(तो)'भावुक' व्है बलबीर!!
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*रिछपालसिंह राठौड़ कांगसिया कृत*
(1)
कर जोड में नमन करू, करनल होय कृपाल।
सोरा राखे माँ सती, रक्षा पाय रिछपाल।।
(2)
शक्ति सहायक शैखाजी, बणी कंवली रूप।
अँग्रेजो की काल बणी, बचायो गंग भूप।।
(3)
ममता मोटी मावडी, बसाय नगर बिकाण।
काबा राख कनियाणी, दया करी दैशाण।।
(4)
माता टालै मोतडी, धीरज धरके ध्याय।
काल की महाकाल है, परेम परीत पाय।।
(5)
किरपा करज्यो करनला, मोटी म्हारी माय।
दुख दरिद्र दूर कर दया, देशाणे री राय।।
(6)
सूरज सामो देवरो, धजा फरुकती लाल।
मंदिर मायड मोहनो, काबा करे कमाल।।
(7)
नगाडा ढोल नोबता, झालर रो झनकार।
आवड होवै आरती, साँझ और संवार।।
(8)
नर नारी नो नोरतां, जग मग जलती जोत।
चेत पखवाड चानणा, आसोज सुख स्रोत।।
(9)
आओ माताआवडा, आंगन बैठो आप।
मंगल मूरत मावडी, पग पग मेटे पाप।।
(10)
मन मे बसगी मावडी, करनी माँ किरतार।
कलजुग कलमस काटणी, हरनी विघन हजार।।
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*रतन सिंह चाँपावत रणसी कृत*
(1)
कथूं कीरत  कर कौड ,कर जोड़कर करनलां
मुकुट मणी सिर मौड़ माँ मोटी मेहासदू
(2)
दे दरसण रो दान आखर उकती ओपता
सगत तिहारी शान, जस गावूं मैं जोगणी ..
(3)
कर किरपा किनयांण भगतवछल भयहारिणी
आवड़ थारी आंण अवर न दूजो आसरो
(4)
सगती कर संभाळ शरण तिहारे शंकरी
डोकरड़ी डाढाळ  आद भवानी ईशरी
(5)
अरज करूं हूं आज ,चरणन में तव चारणी
लोवड़याळी लाज रखजै इण राठौड़ री
(6)
अरज करूं हूं आज ,चरणन में में तव चारणी
लोवड़याळी लाज रखजै इण राठौड़ री
(7)
आवड आंगण आव कूं.कूं पगल्या केसरी
मढडे वाली माव  काज संवारो करनला
(8)
आवड रुप अनंत नव दुरगा नारायणी
दीपै दिग दिगंत दिवला देवळ देवरै
================================
*महेन्द्र सिंह राठौड़ जाखली कृत*
(1)
करणी माता आप तो, हो अम्बे अवतार
सकल सुधारों काज को,हे मैया करतार
(2)
मैं तो ठहरा बावरा,करो आप ही राज
संकट आये मात अब, निपटा दो हर काज
(3)
मदद करो हर मोड़ पर,देना मेरा साथ
करणी मां ओ करनला,पकडो़ मेरा हाथ
(4)
मैया आया भाग के, मै तो तेरे पास
भटक भटक कर तंग हूं,अब तेरे से आस
(5)
समझो मेरी भावना ,तेरे से अरदास
तेरे कदमों में पडा़,मै तो बारह मास
(6)
देश नोक की नाक हो,जग गाता है रोज
करती सबके काज को,सभी करे तब मोज
(7)
जीवित तेरा देवरा,करती सबका काम
आती मां आवाज पर,नहीं करे आराम
(8)
आज करो दरबार में,मेरा भी उद्धार
संकट मेरे काट दे,नैया करदे पार
(9)
देशाणा की डोकरी,कुछ तो करो उपाय
आज उभारो भगत को,डूब रहा है माय
(10)
बेडा़ मेरा पार कर,समद फसी है नाव
केवट बनके आ जरा,करदे ऊपर छाव
================================
*दिग्विजय सिंह गोगटिया कृत*
(1)
माँ करणी की  महिमा सम्मुख
जग  में   कोई  बात  कहां  हैं।
सुर्य का आगमन रोक सके जो
ऐसी   कोई   रात   कहां   है।।
(2)
मै    कवि   क्या   करू  बखान,
बस   प्रयास  ही   कर  सकता।
शब्द   समाले   करणल महिमा,
शब्दों   की  बिसात   कहां  है।।
(3)
करूणा    निधी    माँ    करणी,
भक्तो   की   पालन   हारक  है।
धर्म  में   बाधा  डाल   रहें   जो,
उन   दुष्टों   की   श्रंघारक   है।।
(4)
यहां  वहां  चाहो जहां कोई भी
स्थान      चुन     सकते     हो।
परचा     माता    करणी    का,
घर  घर  में  सुन  सकते   हो।।
(5)
इतने  चूहों   मढ़  में    पर   ना,
हुआ   प्लेग  क्युँ  जान  लिया।
चुहो   और   काबों   में  अन्तर,
विज्ञान  ने  भी   मान   लिया।।
(6)
माना   विज्ञान   ने   भी  आज,
करणी    मात      बिराजे    हैं।
इस युग में भी देशनोक मढ़ में
साक्षात मां करणी ही गाजे हैं।।
(7)
नित साधना धरने से हर  पाप
प्रायश्चित    हो     जाता     है।
दर्शन मात्र से सबका कल्याण
सुनिश्चित    हो    जाता    है।।
================================
*मदन सिंह शेखावत ढोढसर जयपुर कृत*
(1)
करणी सू अर्जी करू,भवसूं पार लगाय ।
धरसू थारा ध्यान मै,हर दिन रोज मनाय।।
(2)
देशनोक रो देवरो,भीङ पङे बेथाह ।
कई देश रा जात्ररी,आवे खुब ऊछाह।।
(3)
खुङद देश री मावङी,पूजे श्रद्धा भाव।
जन जन दौङ्यो आय है,मन वांछित फल पाव।।
(4)
ध्यावो ध्यान लगाय के,पुरो भरोसो राख।
मात नही निराश करे,सबने सोरा राख।।
(5)
देशनोक री मावङी,मोटी करनल मात।
भक्ता रा दुखङा हरे,नमन करे दिन  रात।।
(6)
भक्ता री मात सुणसी,गूढ भरोसा  राख।
होसी सगला काज भी,बणसी थारी साख।।
(7)
धीरज धरल्यो भायला सुणसी  सब की माय।
मात हीये मे धारलो,माॅ ही राखे छांय।।
(8)
डाढाळी दुख भंजणी,करणी सेवक काज।
भक्तो की झट पट सुणे,सवारे कल व आज ।।
(9)
घट घट बसती भगवती,झट पट करती काज।
सेवो सेवा भाव सू,हरसी सब जंजाल।।
(10)
जगदम्बा ज्वाला बसै जोबनेर के माय।
मोटी म्हारी मावङी, बसगी डुंगर जाय।।
(11)
रामगढ जंमवाय है,कच्छावा कुल देव।
पैदल जावे जात्ररी,करे माय री सेव।।
(12)
मोटो राखो मनङो मीनख पणा र माय
ऐङा मानुष मोकळा, मांगे माॅ  सू नाय।।
(13)
बिन मांग्या सब देय है,मांग्या  देवे नाय।
माॅ मनङा री जाणती सांच देवु बतलाय
(14)
संकट हरसी आपरा राखो मन विश्वास ।
मायङ दुख ना देखती,पुरी राखो आस।।
(15)
माॅ भक्तो के कारणे दौङी दौङी आय।
डाढाळी दुख भंजणी,करती सदा सहाय
=================================
*कुँवर विराज सिंह शेखावत भन्डुदा छोटा कृत*
(1)
कांई  मांगू करनला, दियो घणो दातार।
बिन मांग्या बोल्यां बिना,भरिया सब भंडार।।
(2)
नाम दियो र काम दियो,परबल करी पिचाण।
भाव दिया भगती घणी, करनादे किनियाण।।
(3)
अक्षर लय सुर ताल दिया,छंदा तणो रिवाज।
बड़ा मंच भरपुर दिया, मेहाइ महाराज।।
(4)
नेह घणो मा आप दियो, दियो एक परिवार।
साहित अर शमशीर जिसो,किरपालू किरतार।।
(5)
बीसहथि वेवार दियो,अर दीन्या संस्कार।
अर छोटी सी इक जगह, दिनी थारे द्वार।।
(6)
चार चीज माँ चारणी, देवो दीनदयाल।
इक सरकारी नौकरी, बगसो माँ डाढाळ।।
(7)
दूजी चीज माँ दीजिये, परमानेंट निवास।
देशाणाले देश मे, बणवाज्योे आवास।।
(8)
चिरजा थारी चारणी, गाय सकूं दिन रात।
तीजो वर ओ दीजिये, देशनोक री मात।।
(9)
इक वर मांगू चाव सूं, सुणजो थे सरताज।
काबो कीजे करनला, मरियां पछे "विराज"।।
(10)
काया रूपी करनला,कपड़ा जोय दिराय,
ऊजळ करजे आतमा,श्री करणी सुरराय।।
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*महेन्द्र सिंह शेखावत केहरपुरा कृत*
(1)
करणी कृपा रख सदा,सिर पर थारो हाथ
विपदा हरो, मदद करो,रहो हमेशा साथ
(2)
देशनोक दरबार में, महिमा अपरम्पार
आशीर्वाद मां आपरो,मैं पाऊं बारम्बार
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संकलन कर्ता:--भवानी सिंह राठौड़ "भावुक" टापरवाडा़ एडमीन "साहित अर शमशीर" क्षत्रिय व्हाट्सएप ग्रुप मोबाइल नंबर 7016136759
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