महाराणा प्रताप को पढ़ लेना
शौर्य कभी सो जाए तो
शौर्य कभी सो जाए तो,महाराणा प्रताप को पढ़ लेना
ये वो धरती है जहां कभी, चेतक की टापें गूंजी है।।
पत्थर-पत्थर में जागा था, विक्रमी तेज बलिदानी का।
जय एकलिंग का ज्वार जगा, जागा था खड्ग भवानी का।।
जब मुगलों ने मिर्ची डाली , पावन हल्दीघाटी में ।
अग्निपुष्प तब हुआ पल्लवित , कुंभलगढ़ की माटी में ।
जो सिसोदिया कुल का गौरव ,स्वाभिमान का पोषक था ।
मुगलों से जो खुली जंग का , एक मात्र उद्धघोषक था ।।
अकबर का अट्टाहस रोका , साहस के बलबूते से ।
समझौतों को ठोकर मारी , जिसने अपने जूते से
इस्लामी गिद्धों के हर दम , पंख कतरने वाला था ।
एक वार से दुश्मन के , दो टुकड़े करने वाला था ।।
जिसका बल पौरुष दुनिया में , अव्वल और निराला था ।
कवच किलो इक्यासी का था ,और बहत्तर भाला था।
चेतक पर सवार होकर जब , युद्धक्षेत्र में आता था ।
बाबर की औलादों का , कच्छा गीला हो जाता था ।।
आठ फुटा महाराणा से कद , अपना नापा करते थे ।
देख सामने अकबर के भी , गुर्दे काँपा करते थे ।
घास चपाती खाने वाला , खुद खुद्दार कहानी था ।
मेवाड़ी पानी के आगे , अकबर पानी पानी था ।।
रजपूती गाथा के तन पर , स्वाभिमान का जेवर था ।
मरते दम तक नही झुका वो , सूर्यवंश का तेवर था ।
जीत हार की बात न करिये , संघर्षों का ध्यान करो ।
कथा पीढ़ियों को दिखलाओ निज कुल पर अभिमान करो ।।
गिरा जहाँ पर खून वहां का , पत्थर-पत्थर ज़िन्दा है।
जिस्म नहीं है मगर नाम का , अक्षर-अक्षर ज़िंदा है ।
जीवन में यह अमर कहानी , अक्षर-अक्षर गढ़ लेना ।
शौर्य कभी सो जाए तो , महाराणा प्रताप को पढ़ लेना।।
जय भवानी जय एक लिंग नाथ
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