जाग जाओ क्षत्रिय राजपूत वीरों
जाग जाओ क्षत्रिय राजपूत वीरों
जाग जाओ क्षत्रिय राजपूत वीरों और समस्त धर्मनिष्ठ हिन्दूओं
परमार वंश के दो महान
सम्राट
मित्रो आज हम
किसी से भी
पुछते है कि
राजा विक्रमादित्य और
राजा भोज की
प्रतिमाएँ क्यों नहीं हैं?
उनके म्यूजियम उनके स्मारक
क्यों नहीं है
?
जब हम कहते
हैं राजनेता गलत
है पर राजनेताओं
के अंध भक्त
दुहाई देते हैं
कि वो बहुत
पहले थे ऐसा
कहा जाता है,
लेकिन यह गलत
है चक्रवर्ती सम्राट
विक्रमादित्य और महाराजा
भोज अगर ना
होते तो हमारा
आज नहीं होता।
मित्रो राजा विक्रमादित्य
और राजा भोज
की प्रतिमाएँ बनाई
जाए।आज देश में
ऐसे नेताओं की
प्रतिमा है जो
कि उस काबिल
भी नहीं है।
और राजा महाराजा
की बात करे
तो महाराणा प्रताप
शिवाजी महाराज भी महानतम
यौद्धाओं में हैं,उनकी प्रतिमाएँ
है,हम ने
उनका तो सम्मान
कर दिया पर
भारतीय इतिहास के दो
स्तंभ राजा विक्रमादित्य
और राजा भोज
जिनके उपर देश
टिका हुआ है
हम ने उन्हीं
को भुला दिया।
======शूरवीर
सम्राट विक्रमादित्य=====
अंग्रेज और वामपंथी
इतिहासकार उज्जैन के सम्राट
विक्रमादित्य को एतिहासिक
शासक न मानकर
एक मिथक मानते
हैं।
जबकि कल्हण की राजतरंगनी,कालिदास,नेपाल की
वंशावलिया और अरब
लेखक,अलबरूनी उन्हें
वास्तविक महापुरुष मानते हैं।विक्रमादित्य
के बारे में
प्राचीन अरब साहित्य
में वर्णन मिलता
है।
उनके समय शको
ने देश के
बड़े भू भाग
पर कब्जा जमा
लिया था।विक्रम ने
शको को भारत
से मार भगाया
और अपना राज्य
अरब देशो तक
फैला दिया था।
उनके नाम पर
विक्रम सम्वत चलाया गया।
विक्रमादित्य ईसा मसीह
के समकालीन थे.विक्रमादित्य के समय
ज्योतिषाचार्य मिहिर, महान कवि
कालिदास थे।
राजा विक्रम उनकी वीरता,
उदारता, दया, क्षमा
आदि गुणों की
अनेक गाथाएं भारतीय
साहित्य में भरी
पड़ी हैं।
इनके पिता का
नाम गन्धर्वसेन था
एवं प्रसिद्ध योगी
भर्तहरी इनके भाई
थे।
विक्रमादित्य
के इतिहास को
अंग्रेजों ने जान-बूझकर तोड़ा और
भ्रमित किया और
उसे एक मिथकीय चरित्र
बनाने में कोई
कोर-कसर नहीं
छोड़ी, क्योंकि विक्रमादित्य उस
काल में महान
व्यक्तित्व और शक्ति
का प्रतीक थे,जबकि अंग्रेजों
को यह सिद्ध
करना जरूरी था
कि ईसा मसीह
के काल में
दुनिया अज्ञानता में जी
रही थी। दरअसल,
विक्रमादित्य का शासन
अरब और मिस्र
तक फैला था
और संपूर्ण धरती
के लोग उनके
नाम से परिचित
थे। विक्रमादित्य अपने
ज्ञान, वीरता और उदारशीलता
के लिए प्रसिद्ध
थे जिनके दरबार
में नवरत्न रहते
थे। इनमें कालिदास
भी थे। कहा
जाता है कि
विक्रमादित्य बड़े पराक्रमी
थे और उन्होंने
शकों को परास्त
किया था।
यह निर्विवाद सत्य है
कि सम्राट विक्रमादित्य
भारतीय इतिहास के सर्वश्रेष्ठ
शासक थे।
==हिन्दू हृदय सम्राट
परमार कुलभूषण मालवा
नरेश सम्राट महाराजा
भोज ==
महाराजा भोज के
जीवन में हिन्दुत्व
की तेजस्विता रोम-रोम से
प्रकट हुई ,इनके
चरित्र और गाथाओं
का स्मरण गौरवशाली
हिंदुत्व का दर्शन
कराता है।
महाराजा भोज इतिहास
प्रसिद्ध मुंजराज के भतीजे
व सिंधुराज के
पुत्र थे ।
उनका जन्म सन्
980 में महाराजा विक्रमादित्य की
नगरी उज्जैनी में
हुआ।राजा भोज चक्रवर्ती
सम्राट विक्रमादित्य के वंशज
थे।पन्द्रह वर्ष की
छोटी आयु में
उनका राज्य अभिषेक
मालवा के राजसिंहासन
पर हुआ।राजा भोज
ने ग्यारहवीं शताब्दी
में धारानगरी (धार)
को ही नही
अपितु समस्त मालवा
और भारतवर्ष को
अपने जन्म और
कर्म से गौरवान्वित
किया।
महाप्रतापी
राजा भोज के
पराक्रम के कारण
उनके शासन काल
में भारत पर
साम्राज्य स्थापित करने का
दुस्साहस कोई नहीं
कर सका.राजा
भोज ने भोपाल
से 25 किलोमीटर दूर
भोजपूर शहर में
विश्व के सबसे
बडे शिवलिंग का
निर्माण कराया जो आज
भोजेश्रवर के नाम
से प्रसिद्ध है
जिसकी उंचाई 22 फीट
है । राजा
भोज ने छोटे
बडे लाखों मंदिर
बनवाये , उन्होंने हजारों तालाब
बनवाये , सैकडों नगर बसाये,कई दुर्ग
बनवाये और अनेकों
विद्यालय बनवाये।
राजा भोज ने
ही भारत को
नई पहचान दिलवाई
उन्होंने ही इस
देश का नाम
हिंदू धर्म के
नाम पर हिंदुस्तान
रखा।राजा भोज ने
कुशल शासक के
रुप में जो
हिन्दुओं को संगठित
कर जो महान
कार्य किया उससे
राजा भोज के
250 वर्षो के बाद
भी मुगल आक्रमणकारियों
से हिंदुस्तान की
रक्षा होती रही
। राजा भोज
भारतीय इतिहास के महानायक
थे.
राजा भोज भारतीय
इतिहास के एकमात्र
ऐसे राजा हुए,
जो शौर्य एवं
पराक्रम के साथ
धर्म विज्ञान साहित्य
तथा कला के
ज्ञाता थे।राजा भोज ने
माँ सरस्वती की
आराधना व हिन्दू
जीवन दर्शन एवं
संस्कृत के प्रचार-
प्रसार हेतु सन्
1034 में माँ सरस्वती
मंदिर भोजशाला का
निर्माण करवाया।माँ सरस्वती के
अनन्य भक्त राजा
भोज को माँ
सरस्वती का अनेक
बार साक्षातकार हुआ,
माँ सरस्वती की आराधना
एवं उनके साधकों
की साधना के
लिए स्वंय की
परिकल्पना एवं वास्तु
से विश्व के
सर्वश्रेष्ठ मंदिर का निर्माण
धार में कराया
गया जो आज
भोजशाला के नाम
से प्रसिद्ध है
। उन्होंने भोजपाल
(भोपाल) में भारत
का सबसे बडा
तालाब का निर्माण
कराया जो आज
भोजताल के नाम
से प्रसिद्ध है.
हम इन महानायकों
को भुला रहे
हैं इसलिये आज
हमारा देश फिर
से गुलाम बन
ने की दिशा
में है।जाग जाओ
क्षत्रिय राजपूत वीरों और
समस्त धर्मनिष्ठ हिन्दूओं
मान लो राजा
विक्रमादित्य और राजा
भोज को।मत भुलाओ
इन महानायकों को.…
जय विक्रमादित्य जय राजा
भोज ।।
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