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सिसोदिया राजवंश के एक अप्रतिम योद्धा

सिसोदिया राजवंश के एक अप्रतिम योद्धा

सिर्फ एक ही सकल विश्व में उदाहरण,
रणक्षेत्र दृड चुनौती रहे है अब तक,

महाराणा प्रताप घट घट दीप अविनाशी
स्वाभिमान संग संतरी रहे है अब तक।

जीवनी है सत संघर्षों की प्रयाय सूची
आलोचना गरल पी रहे है अब तक,

जब तक जिए वो मरे नहीं थे किन्चित, 
मर कर भी मगर जी रहे है अब तक।।

दिग्विजय सिंह गोगटिया



महाराणा प्रताप सिंह सिसोदिया, सिसोदिया राजवंश के एक अप्रतिम योद्धा एक अद्वितीय शख्सियत एक ऐसा व्यक्ति जिसने सिसोदिया राजवंश को शिखर तक बुलंद किया, अपने जुझारू युद्ध कौशल के बल पर केसरिया ध्वज आसमान में लहराया,  मुगलिया परचम को जिसने आंख से आंख मिला कर जवाब दिया, ऐसा मानस ऐसा क्षत्रिय जिसने कभी अपना शीश किसी के सम्मुख नहीं झुकाया, ऐसा ताकतवर योद्धा जिसने बहलोल खान के घोड़े समेत दो फाड़ कर दिए, ऐसा 32 गुणी राजपूत ऐसा चरित्रवान व्यक्ति जिसने मुगलों की बेगमों को ससम्मान मुगलिया ठिकाने में पुनः लौटा दिया, वतन के प्रति वफादार व्यक्ति जिसने  संघर्ष के रास्ते को चुना पूरे जीवन प्रयन्त अपने शब्दों का मोल रखा सोने चांदी के बर्तनों में भोजन नहीं किया महलों में शयन नहीं किया, एक प्रतापी राजवंश के राजा होते हुए भी जंगलों में रहना स्वीकार किया अपनी बुद्धि कौशल से अपनी व्यवहार कुशलता से अपने दृढ़ संकल्प से अपनी नई सेना का निर्माण किया जिसमें भील,0पठान आदि आदि लोगों को सम्मिलित किया और एक मजबूत सेना तैयार की और हल्दीघाटी का अप्रतिम युद्ध लड़ा जिसके किस्से कहानियां आज भी पूरे विश्व में सुनाई जाती है एक ऐसा युद्ध जिसमें एक तरफ कुछ हजारों की सेना दूसरी ओर लाखों की सेना, मगर कुछ हजारों की सेना ने लाखों सैनिकों के दांत खट्टे कर दिए एक तरफ की सेना वेतन के लिए लड़ रही थी दूसरी ओर की सेना वतन के लिए लड़ रही इसी अंतर को इन्हीं भावों को संजीदा करते हुए यथार्थ करते हुए चरितार्थ करते हुए मुगल सेना के पांव उखाड़ दिए, दम्भ मर्दन किया।
ऐसा व्यक्तित्व आज ऐसे महाराणा प्रताप की पुण्यतिथि है पुण्यतिथि उनके देह की है आज ही के दिन आपका देह पंचतंत्र में विलीन हुआ था और आपकी आत्मा आपके विचार आपका जलाल यही पर रह गया आज ही के दिन आप हमेशा के लिए अमर हो गए अतः इस दिवस को पुण्यतिथि ना कहते हुए महाराणा प्रताप अमृत्व दिवस कहां जाना ज्यादा सार्थक होगा, 
एक वास्तविक किस्सा मुझे याद आता है किसी बाहर से आए शोधकर्ता ने पूछा किसी बुद्धिजीवी व्यक्ति से, किसी विद्वान से कि यहां आपके भारत में जो जनक हैं जिन्होंने आप सब को जन्म दिया यानी ब्रह्मा आपके जन्म के देवता उनका मंदिर कहीं मिलता ही नहीं एक मंदिर है या दो मंदिर होंगे लेकिन जो आपके मृत्यु के देवता हैं शिव शंकर उनका मंदिर हर गली में हर नुक्कड़ पर मिल जाता है इसके पीछे क्या राज है,
तब उस व्यक्ति ने कहा हम भारत के लोग मृत्यु का उत्सव मनाने वाले लोग हैं जन्म से ज्यादा यहां मृत्यु का स्वागत होता है मृत्यु का उत्साह होता है मृत्यु त्योहार की तरह मनाई जाती है, जन्म होने पर 1 दिन का उत्सव वर्णन मृत्यु पर 12 दिवस का उत्सव होता है, मृत्यु होने पर हम 12 दिन तक सभी को भोजन करवाते हैं यह हमारे देश की परिपाटी है हमारा मानना है असल जीवन मृत्यु के बाद ही प्रारंभ होता है।

इसी संदर्भ में मैं आप सभी को महाराणा प्रताप अमृत्व दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं निवेदिक करता हूं, महाराणा प्रताप ना कभी मरे हैं और ना ही कभी मर सकते हैं आप हमारे हृदय में, हमारे दिलों में, हमारे मन में, हमारे अंतर, में हमारे अंतस में, सदैव जीवित रहेंगे, सदैव जिवन्त रह कर हमारी प्रेरणा बने रहेंगे।।
जय महाराणा

दिग्विजय सिंह गोगटिया

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