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महाराणा प्रताप रौ जस

*** महाराणा प्रताप रौ जस ***


"उतर दियौ उदीयाण दिन पलट्यौ पल़टी दूणी।
पातल़ थंभ प्रमाण़ शैल गुफावा संचरीयौ।

मिल़ीयौ मैध मला़र मुगला री लशकर माय।
कलपै राज कुमार मैहला़ चालौ मावड़ी।

महल रजै महाराण कन्दरावा डैरा किया।
पौढण सैज पाखांण हिन्दुवां सुरज हालीया।

उलटीया एहलूर म़ाझल़ गल़ती रात रा ।
पछटयौ पालर् पुर गाडरीया झुकीया गिरा।

झंखड़ अकबर जाण़ राजन्द झुकीया गिरा।
पातल़ थम्भ प्रमाण इडग रयौ धर ऊपरां।।

गीत
रौवण लागा राज दुलारा, रल़कीयौ नीर रैवास।
वाव सपैटै दीप बुझायौ, उझमी जीवण आस।
राणौ प्रताप रीस़ाणौ अकबर शाह ऊन्घाण़ौ ।।1।।

ब़ीज बल़ौबल़ जौर झबुकै, घौर माय घमसाण।
हिन्दुवौ सुरज डैरड़ै हाल्यौ, पौढ़वा सैज पाख़ाण।
राणौ प्रताप रीस़ाणौ अकबर शाह ऊन्घाण़ौ।।2।।

बिलखती माता कैह विधाता, तै ही लिख्या तकदीर।
राजभवना रा आज रैवासी, फड़फडै़ जाण फकीर।
राणौ प्रताप रीस़ाणौ अकबर शाह ऊन्घाण़ौ ।।3।।
कंवर कंवरी कंध चढ़ाय, महाराणी समझाय् ।
आवै राणौसा तौ हालस्या अपै, महल़ पिछौलै माय।
राणौ प्रताप रीस़ाणौ अकबर शाह ऊन्घाण़ौ, ।।4।।

मांगड़ै आवतौ मुन्छ मरौड़ै, वल़ीयौ पाछौ वीर।
आज मैहल़ा आजाद करावा, न लैवा अन्र नीर।
राणौ प्रताप रीस़ाणौ अकबर शाह ऊन्घाण़ौ ।।5।।
आवतौ माल़क सार अवैल़ौ हिसीयौ हैवन हार ।
सज वाहुणी लगा़म संभ़ाल़ै आवियौ पीठ अमीर।
राणौ प्रताप रीस़ाणौ अकबर शाह ऊन्घाण़ौ ।।6।। 

चीरतौ पाण़ी घौड़ल़ौ चाल्यौ, कुदतौ थौहर कैर।
आंच आवै असवार ना तौ मारौ जीवणौ खारौ ज़ैर।
राणौ प्रताप रीस़ाणौ अकबर शाह ऊन्घाण़ौ ।।7।।

पाव घड़ी माय पुगीयौ पवन पिछौल़ै री पाल़।
पाव पख़ाल़ण काज़ पिछौल़ौ आवियौ लौप औवाल़।
राणौ प्रताप रीस़ाणौ अकबर शाह ऊन्घाण़ौ ।।8।।

कौयल़ा सारस कीर कबुतर पंखीड़ा घण़ प्रीत।
दैश धणी ना आवत़ौ दैख गुटकवा लागा गीत।
राणौ प्रताप रीस़ाणौ अकबर शाह ऊन्घाण़ौ ।।9।।
रुखड़ल़ा पण दैख राणै ना अंजसीया हौय अधीर।
झुमती शाखा पगल़ा झुकी नैह त्रमंकयौ नीर।
राणौ प्रताप रीस़ाणौ अकबर शाह ऊन्घाण़ौ।।10।।

वीर शीरौमण नांव मा बैठा पा़ण ग्रहै पतवार ।
पार पुगावण काज पिछौलौ धावीयौ गंगाधार।
राणौ प्रताप रीस़ाणौ अकबर शाह ऊन्घाण़ौ।।11।।

आवती नैया सार अवैल़ी ताणीया तीर कबाण।
भील़ण़ी जाय़ा शब्द भैदी जैरौ ना चुकै निश़ाण।
राणौ प्रताप रीस़ाणौ अकबर शाह ऊन्घाण़ौ।।12।।

जवान बैटा ना संभता दैखै बौल़ीयौ ब़ुढ़ौ भ़ील़।
आज बैटा कुण बाग मां आयौ ईडग़ा तौड़ी ईल़।
राणौ प्रताप रीस़ाणौ अकबर शाह ऊन्घाण़ौ।।13।।

आज क्या मारी आंख फरूखै अंग उमंग अनुप।
एहड़ै सुगनै भैट करावै अवस मैवाड़ौ भुप।
राणौ प्रताप रीस़ाणौ अकबर शाह ऊन्घाण़ौ।।14।।

बाप री बात़ा साम्भल़ै बैटा नाखीया तीर कब़ाण ।
दैश धणी रै दरसण़ा हैतू अंजसीया औस़ाण़।
राणौ प्रताप रीस़ाणौ अकबर शाह ऊन्घाण़ौ।।15।।
आय् किनारै नावड़ी उभी भागीया सामा भील़।
चौखसी राणै तीर चढ़ायौ दैख उबाण़ा डील़।
राणौ प्रताप रीस़ाणौ अकबर शाह ऊन्घाण़ौ।।16.।।

आपरा चाकर जा़णा़ै अन्रदाता माफ करौ शक मैट।
पातशाह रै पौहरै उभ़ा पाल़वा पापी पैट।
राणौ प्रताप रीस़ाणौ अकबर शाह ऊन्घाण़ौ।। 17।।

माफ करौ माही बाप कै मा़झ़ी पांव पड़या अकुलात् ।
बाट जौवता मारा दिनड़ा बीता रौवता का़ल़ी रात्।
राणौ प्रताप रीस़ाणौ अकबर शाह ऊन्घाण़ौ।।18।।
कैकू पगल़ा कीच भराण़ा धौऊ नैण़ा जलधार्।
खाम़द़ा रौ दुख दैख खूपै मारै काल़जै बीच कटार्।
राणौ प्रताप रीस़ाणौ अकबर शाह ऊन्घाण़ौ।।19।।

आंखड़ीया भर आवीया आंसु बादल़ा ज्यू बरसात।
आज सौनै रौ सुरज उगौ हिवड़ल़ौ हरसात।
राणौ प्रताप रीस़ाणौ अकबर शाह ऊन्घाण़ौ।। 20।।

रंक हैतालू बौलीयौ राणौ हाख मा थांमै हाथ।
बीती सौ ही बिसार दै वाल़ा पौर भयौ परभात् ।
राणौ प्रताप रीस़ाणौ अकबर शाह ऊन्घाण़ौ।।21।।

आज कसौटी रंगत आणै सौलवौ सौन कहाय् ।
आज हु जैड़ै कारज आयौ मारौ कारज सिद्ध कराय।
राणौ प्रताप रीस़ाणौ अकबर शाह ऊन्घाण़ौ।।22।।

नींद मा मुगल़ सैन निचींती और भयौ् अंधकार ।
प्रौल़ीया ऊभ़ा तीन पाराधी (पाराथी) काल़ीयौ किल्लैदार।
राणौ प्रताप रीस़ाणौ अकबर शाह ऊन्घाण़ौ।।23।।

चौर गुफा मां पुगीयौ च्यरौ उन्चल़ी मंझील आण़ ।
बारणै भ़ुखा सिंह बंधाड़ै सैज पौढीयौ सुल्ताण।
राणौ प्रताप रीस़ाणौ अकबर शाह ऊन्घाण़ौ।।24।।

सिंह छैड़ा तौ शौर मचावै जाग अकबर जाय् ।
एक ताड़ी सुण़ फौज असंख्या प्राण हैरै पल़ माय् ।
राणौ प्रताप रीस़ाणौ अकबर शाह ऊन्घाण़ौ।।25।।
दैश धणी ना दैख उद्द्यासी भीलड़ौ सौच भराय।
छैरूवा कानी बातड़ी छानी सानी मा समझाय।
राणौ प्रताप रीस़ाणौ अ,कबर शाह ऊन्घाण़ौ।।26।।

जगत् सु बैटा एक दिन जावणौ खाटल़ी सुता खाय।
मात्रभुमी रै काज मरा तौ जीव वैकुटाय जाय।
राणौ प्रताप रीस़ाणौ अकबर शाह ऊन्घाण़ौ।।27।।

बाप ना बैटा बैरवा बैठा मुखड़ा धारै मौन।
च्यार चीराल़ै कर न चाल्या चारवा सिहा चुण।
राणौ प्रताप रीस़ाणौ अकबर शाह ऊन्घाण़ौ।।28।।

पंड कीधौ बलिदान पाराधी हंसतै कमल़ हाय।
मरतां वैल्या जनम मांगयौ दैश मैवाड़ै माय।
राणौ प्रताप रीस़ाणौ अकबर शाह ऊन्घाण़ौ।।29।।

आंखड़ीया भर आविया आंसु राण भराणौ रीस।
अनवीया वाल़ी ईल तौड़ै न शिशौद नमायौ शीश।
राणौ प्रताप रीस़ाणौ अकबर शाह ऊन्घाण़ौ।।30।।

पैढ़लीया कर पार राणैजी सांभ लैही शमसैर।
हिन्दुवै सुरज हाथ उठायौ बाल्वा जुनौ बैर ।
राणौ प्रताप रीस़ाणौ अकबर शाह ऊन्घाण़ौ।।31।।
एक अंतै माय आवियौ हिलौ कांप गई किरपाण ।
बिन बाकारयां मारणै सु मारौ दैश लाजै उदीयाण़।
राणौ प्रताप रीस़ाणौ अकबर शाह ऊन्घाण़ौ ।।32।।

राजपुती री रीत रुपाल़ी नींद मा सुतौ न धाय्।
सात पीड़ी रै शत्रु ना पैश पड़या बगसाय।
राणौ प्रताप रीस़ाणौ अकबर शाह ऊन्घाण़ौ।।33।।

आंगली चिरै मांडीया आखर सामली भ़ीत सुजाण।
आखरी वैल़या आज अकबर दैवा जीवनदान ।
राणौ प्रताप रीस़ाणौ अकबर शाह ऊन्घाण़ौ।।34।।

आज प्रभाता त्याग उदयपुर कूच करै कमठ़ाण़।
दुसरा मौका न दैवा हु थारै मांझल रौ मैहमाण।
राणौ प्रताप रीस़ाणौ अकबर शाह ऊन्घाण़ौ।।35।।

रंग रै राणा रात थारी ना रंग जाती रजपुत।
रंग माता जकै गौद रंमाड़्यौ पातल़ जैड़ौ पूत।
राणौ प्रताप रीस़ाणौ अकबर शाह ऊन्घाण़ौ।।36।।
अवतरीया ईण धरती पर मौकल़ा वीर महान।
सुरमा री मरजाद सुणावै बारट भंवरदान ।
राणौ प्रताप रीस़ाणौ अकबर शाह ऊन्घाण़ौ।
अवतरीया ईण धरती पर मौकल़ा वीर महान।
सुरमा री मरजाद सुणावै बारट भंवरदान ।
राणौ प्रताप रीस़ाणौ अकबर शाह ऊन्घाण़ौ।।37

कवि स्व श्री भंवरदान 
झणकल़ी
संग्रहकर्ता भगवान दान हुकुम दान झणकली

9413904083

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It is our hope that by providing a stage for cultural, social, and professional interaction, we will help bridge a perceived gap between our native land and our new homelands. We also hope that this interaction within the community will allow us to come together as a group, and subsequently, contribute positively to the world around us.